आजादी के ६४ वर्षो के बाद मेरी नजरो में देश की छबि ....
जहां एक सुई तक मेड इन इंगलैंड होती थी , वहां आज सैटेलाइट और चंद्रयान तक हम बना रहे हैं ,देश में क्या नहीं बन रहा हैं ? यह सब हम कर रहे हैं अपने संसाधनो से , अपनी तकनीक से , अर्थात हमने विज्ञान , शिक्षा , तकनीक प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की है . कृषि उत्पादन इतना बढ़ा है कि जहां आजादी से पहले अकाल पड़ता था , उसी देश में बढ़ी हुई आबादी के बाद भी हमारे पास ढ़ेर ढ़ेर सा अनाज गोदामो में भरा हुआ है . जहां डाकिया घोड़े पर बैठकर गांव गांव चिट्ठियां बांटता था , वहां अब पलक झपकते मोबाइल पर , टीवी पर व अन्य संचार माध्यमो से हम सब सदैव पास पास हैं . जहां आजादी से पहले प्लेग जैसी महामारियां फैलती रहती थीं , वहां आज दुनिया के दूसरे देशो से लोग हमारे यहां चिकित्सा हेतु आते हैं .खेलो में भी हम अब विश्वस्तरीय दौड़ में शामिल हो चुके हैं .
हमारे साथ ही पाकिस्तान भी आजाद हुआ था पर ६४ बरसो के सफर में आज हम उनसे कोसो आगे हैं .यह हमारी कार्य प्रणाली प्रदर्शित करता है .
कड़े संघर्षो व बलिदानो से मिली आजादी के प्रति लोगो में जागरुखता ....
इस सारी भौतिक प्रगति के साथ ही जो बदनुमा दाग हमारे दामन पर आजादी के बाद लगा है , वह है देशवासियो के चारित्रिक पतन का दाग . भ्रष्टाचार हमारी रगो में जाने कब कैसे बहुत भीतर तक समा गया है . लोगो का पारस्परिक आत्मीयता का संबंध कम होता जा रहा है , उसकी जगह बनावटीपन पाश्चात्य दिखावे की संस्कृति हम अपनाते जा रहे हैं . कड़े संघर्षो व बलिदानो से मिली आजादी के प्रति नई पीढ़ी में जागरुखता तो है , पर पाश्चात्य अंधानुकरण की दौड़ में और स्वयं उस संघर्ष का हिस्सा न होने के कारण आज की पीढ़ी में उस पीड़ा और दर्द का अभाव है ,नेताओ ने अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत करने की अपेक्षा स्वार्थ और पैसो की राजनीति की है . लेकिन जब जब हम पर विदेशी संकट आया हमारे देशवासियो और सैनिको ने चीन , पाकिस्तान या आतंक के हर चेहरे को मुंहतोड़ जबाब दिया है .
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के युवाओ को संदेश और उनसे अपेक्षायें......
हमारी युवा शक्ति ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है .बुद्धि और विद्वता के स्तर पर हमारे युवाओ ने सारे विश्व में मुकाम स्थापित किया है . हमारे युवाओ के बगैर किसी अमेरिकन कंपनी का काम नही चलता . हमारी स्त्री शक्ति सशक्त हुई है . स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के युवाओ को मेरा यही संदेश है कि हम किसी से कम नही है और हमारे देश को विश्व में नम्बर वन बनाने की जबाबदारी हमारी पीढ़ी की ही है .हमें नीति शिक्षा की किताबो से चारित्रिक उत्थान के पाठ पढ़ने ही नही उसे अपने जीवन में उतारने की जरूरत है . मेरा विश्वास है कि भारतीय लोकतंत्र एक परिपक्व शासन प्रणाली प्रमाणित होगी , इस समय जो कमियां भ्रष्टाचार , जातिगत आरक्षण , क्षेत्रीयता , भाषावाद , वोटो की खरीद फरोक्त को लेकर देश में दिख रही हैं उन्हें दूर करके हम विश्व नेतृत्व और वसुधैव कुटुम्बकम् के प्राचीन भारतीय मंत्र को साकार कर दिखायेंगे .
vivek ranjan shrivastava
public relation officer and Adl Superintending engineer
2 comments:
भ्रष्टाचार विश्व में हजारों साल से है और मानव मन की कमजोरियों के रहते , रहेगा भी !
गाल बजाने और वास्तविक हकीकत को स्वीकार करने में बहुत फर्क है ! अफ़सोस है कि भ्रष्टाचार हटाने को, राजनैतिक हथियार की तरह प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने के लिए, उपयोग किया जाता है !
और उससे भी बड़ा अफ़सोस है कि मीडिया की बकवास हमारे दिलोदिमाग पर इस कदर हावी हो रही है कि वे संवेदनशील बुद्धिजीवियों से भी अपने शब्द बुलवाने में समर्थ होते दिख रहे हैं !
हमें वास्तविक मूल्यांकन करना चाहिए अन्यथा लेखक और दूसरों को देख बने लेखक में कोई फर्क नहीं रह जाएगा ! इसी अधकचरी बुद्धि के होते, विश्व का सिरमौर बनने के लायक और सफल कोशिश करते देश की विश्व में स्थिति, आकंठ चोरो के देश में परिवर्तित हो गयी है और हम सब तालियाँ बजा रहे हैं !
अब इंजीनियरों और डॉ की कोई तारीफ़ नहीं करता, सब को चोर बताया जाता है ! सफल और शानदार कामनवेल्थ खेलों के बाद भी देश में शायद ही कोई खेल भविष्य में हो पायें और शायद ही कोई अधिकारी देश हित में तेजी से काम कराने लायक साहस जुटा पायेगा !
चोरों को सजा जरूर मिलनी चाहिए मगर ईमानदार लोग भी डर जाएँ ऐसा माहौल बनाना सही नहीं ! बाज़ीगरों के सामने भीड़ हमेशा तालियाँ बजाती है
आप अच्छा लिखते हैं !
शुभकामनायें आपके लेखन को !
अच्छे विचार हैं। काफ़ी प्रगति हुई है। काफ़ी सुधार होना है।
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