Tuesday 21 October, 2008

बधाई हो बधाई ! चँद्रयान की सफलता पर इसरो को , वैज्ञानिकों को और देश को , .....

बधाई हो बधाई ! चँद्रयान की सफलता पर इसरो को , वैज्ञानिकों को और देश को , .....
आदमी चाँद तक तो पहुँच भी गया , आदमियत से अभी पर बहुत दूर है !

Monday 20 October, 2008

राज ठाकरे !

राज ठाकरे !
हिन्दी मराठी के नाम पर यह जो राजनीति कर रहे हैं , मैं इसका विरोध करता हूँ .

Wednesday 15 October, 2008

...हर बार सरकार को ही निजि क्षेत्र की मदद करनी होती है .तो फिर मेरा प्रश्न है ...........

जब हर झटके पर सरकार को ही निजि क्षेत्र की मदद करनी है तो पूँजीवाद की अपेक्षा पुराना समाजवादी अर्धशासकीय पैटर्न ही क्या बुरा था ?

आर्थिक मंदी , कर्मचारियों की छंटनी , निजि क्षेत्र में आरक्षण , विकास के लिये निजि क्षेत्र का सहयोग ...कोई भी बड़ा मकसद हो सब्सिडी , टैक्स हालीडे , विशेष पैकेज ,या अन्य तरह से ...हर बार सरकार को ही निजि क्षेत्र की मदद करनी होती है .तो फिर मेरा प्रश्न है कि हमारा पुराना समाजवादी विकास ढ़ाँचा , जिसमें अर्धशासकीय निकायों के माध्यम से सरकार स्वयं ही यह विकास का कअर्य करती थी क्या बुरा था ????????????????

मायावती जी , आपके इस व्यवहार से देश का आम आदमी आहत है !

मायावती जी , आपके इस व्यवहार से देश का आम आदमी आहत है !

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने औद्योगिक प्रगति को नये भारत के तीर्थ कहा था , पर आज सिंगुर और अब रायबरेली में बेवजह जमीन के विवाद में लोकमत व किसानों के नाम का इस्तेमाल कर आप जैसे नेता औद्योगिक प्रगति को राजनीति का शिकार बना रहे हैं . आपके इस व्यवहार से देश का आम आदमी आहत है !

Sunday 28 September, 2008

दो टूक ...आहत है आम आदमी




दो टूक ...आहत है आम आदमी

माननीय अमिताभ जी ,
आप देश के करोड़ो युवाओ के रोल माडल थे , पर हिन्दी के मामले में जिस तरह आपने समझौते की स्वार्थी नीति अपनाई देश का आम आदमी
आहत हैं .


माननीय अर्जुन सिंग जी ,
आप अराजकता फैलाने में माहिर हैं . आपने फ्री बिजली बाँटी . आपने जिसने जहाँ कब्जा कर लिया उसे उस जमीन का पट्टा बाँटा , एड्हाक लोगों को बिना पी एस सी के रैग्युलर कर डाला .जब जितना मौका मिला आपने अराजकता फैलाकर , स्वयं की वाह वाही लूटी .अब आप आतंक वादियों के समर्थन में ... देश का आम आदमी
आहत हैं .
देश का आम आदमी
आहत हैं .

माननीय मुलायम सिग जी ,
सिमी का ऐसा समर्थन क्यों?देश का आम आदमी
आहत हैं .

Saturday 27 September, 2008

देवी गीत ...निशुल्क

देवी गीत ...
नव रात्री पर्व सारे देश में नौ दस दिनों तक देवी पूजन , भक्तिभाव पूर्ण गायन , उपवास , बड़े बड़े पंडालों की स्थापना , और गरबा के आयोजन कर मनाया जाता है . देवी गीतों का प्रचार सब तरफ बढ़ गया है . पावन पर्व में गीत संगीत से पवित्र भअवना का प्रादुर्भाव और प्रसार बड़ा सुखद व मन भावन होता है . इसी दृष्टि से हर वर्ष नवरात्रि से पहले नये नये देवीगीत , जस , नौराता , के कैसेट्स बाजार में आ जाते हैं . दूर दूर गाँव ,शहरों में उत्सव समितियां ये कैसेट्स अनवरत बजाकर एक भाव भक्ति का वातावरण बना देती हैं . अब तो नवरात्रि के अनुकूल एस एम एस , रिंगटोन , वालपेपर आदि की भी मार्केटिंग हो रही है . बाजार की इस बेहिसाब माँग के चलते अनेक सस्तुआ शब्दों हल्के मनोरंजन वाले विकृत मानसिकता के देवी गीत भी विगत में सुनने को मिले . इनसे मन कोपीड़ा होती है , यह सांस्कृतिक पराभव ठीक नहीं है .
सुरुचिपूर्ण भक्ति , व देवी उपासना के लिये गीत संगीत ऐसा होना चाहिये जो श्रद्धा , विश्वास, सद्भाव , समर्पण तथा भक्ति को बढ़ावा दे .
इसी उद्देश्य से मैंने कुछ भावपूर्ण , सुन्दर , व सार्थक शब्दमय देवी गीतों की रचना की है . जो भी गायक , सी.डी. निर्माता , भक्त , धार्मिक संस्थायें चाहे वे इन सोद्देश्य गीतों को मुझसे निशुल्क जनहित में प्राप्त कर उन्हें प्चारित करने हेतु कैसेट , सीडी बनवा सकते हैं . चाहें तो संपर्क करें .
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in

Monday 22 September, 2008

देश सेवा में मन है तो उसके लिये



नेताओं से....................
by ..Prof.C.B.Shrivastava
C/6 , MPSEB Colony , Rampur ,JABALPUR (MP
mob. 09229118812)
देश सेवा परम उच्च आदर्श है
लोगों ने जानें तक दी हैं इसके लिये।
सोचिये आज क्या कर रहे आप हैं
यह उठापटक है सारी किसके लिये ?
देश सेवा में मन है तो उसके लिये
किसी कुर्सी या पद की जरूरत नहीं।
सैकड़ों काम दुनियॉं में सेवा के हैं
जो करें कुछ तो जीवन में फुरसत नहीं ।।
सिर्फ संकल्प के सिवा कुछ भी नहीं
सेवा करने को केवल लगन चाहिये।
अपने मन से भला पूछिये तो जरा
हैं ये कसरत-कवायत भला किसलिये ? ।।1।।
आज इस दल में है, कल किसी और में,
फिर किसी और में फिर किसी और में।
शांति मन की गंवा यों भटक क्यों रहे
भला हासिल क्या यों मन की झकझोर में ।।
है दलों में विचारों की जो भिन्नता
तो चुनावों में कुर्सी का कठजोड़ क्यो ?
देष भी है वहीं और जनता वहीं
लक्ष्य सेवा है तो दलबदल किसलिये ? ।।2।।
व्रत है सेवा का जो, धन का क्यों मोह तो,
क्यों ये सारे हवाले-घोटाले हुये ?
खेले जाते हैं क्यों, कुर्सी के वास्ते
पर्दे के पीछे आवागमन के जुये ?
मोह से जागिये, स्वार्थ को त्यागिये
खुदको भी धोखा देना मुनासिब नहीं
जीतना सारी जनता का मन है उचित
अपनी छबि साफ सुथरी रखें इसलिए ।।3।।

प्रो.सी.बी. श्रीवास्तव `विदग्ध´

Friday 12 September, 2008

हिन्दी दिवस पर.............

हिन्दी और हिन्दी दिवस
प्रो.सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
सी.६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
कहते सब हिन्दी है बिन्दी भारत के भाल की
सरल राष्ट्र भाषा है अपने भारत देश विशाल की
किन्तु खेद है अब तक दिखती नासमझी सरकार की
हिन्दी है आकांक्षी अब भी संवैधानिक अधिकार की !!
सिंहासन पर पदारूढ़ है पर फिर भी वनवास है
महारानी के राजमहल में दासी का वास है
हिन्दी रानी पर प्रशासनिक अंग्रेजी का राज है
हिन्दी के सिर जो चाहिये वह अंग्रेजी के ताज है
इससे नई पीढ़ी में दिखता अंग्रेजी का शोर है
शिक्षण का माध्यम बन बैठी अंग्रेजी सब ओर है
अंग्रेजी का अपने ढ़ंग का ऐसा हुआ पसारा है
बिन सोचे समझे लोगो ने सहज उसे स्वीकारा है
सरल नियम है शासन करता जिसका भी सम्मान है
हर समाज में स्वतः उसी का होने लगता मान है
ग्रामीणों की बोली तक में अब उसकी घुसपैठ है
बाजारों , व्यवहारों में, हर घर में, उसकी ऐठ है
हिन्दी वाक्यों में भी हावी अंग्रेजी के शब्द हैं
जबकि समानार्थी उन सबके हिन्दी में उपलब्ध हैं
गलत सलत बोली जाती अंग्रेजी झूठी शान से
जो बिगाड़ती है संस्कृति को भाषा के सम्मान को
साठ साल की आयु अपनी हिन्दी ने यूँ ही काटी है
हिन्दी दिवस मुझे तो लगता अब केवल परिपाटी है
कल स्वरूप होगा हिन्दी का प्रखर समझ में आता है
अंग्रेजी का भारत के बस दो ही प्रतिशत से नाता है
हिन्दी का विस्तार हो रहा भारी आज विदेशों में
जो बोली औ॔ समझी जाती सभी सही परिवेशों में
बढ़ती जाती रुचि दुनियाँ की हिन्दी के सम्मान में
किन्तु उचित व्यवहार न देखा जाता हिन्दुस्तान में
अच्छा हो शासन समाज समझे अपने व्यवहार को
ना समझी से नष्ट करे न भारतीय संस्कार को
हिन्दी निश्चित अपने ही बल आगे बढ़ती जायेगी
भारत भर की नहीं विश्व की शुभ बिन्दी बन जायेगी
Prof. C. B. Shrivastava "vidagdha"

Thursday 11 September, 2008

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है


आप भी इसका इस्तेमाल करें

by vibhuti khare
vibhutikhare@ymail.com

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
इसको बढ़ाने की मेरी अभिलाषा है
हर भारत वासी के दिल में समाई है
पर इंग्लिश के बोझ तले फलक नही पाई है
इसको फलकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है ..
संस्कृत की बेटी है , और राष्ट्र भाषा है
सीधी है सरल है हम सबकी आशा है
शीघ्र ग्राह्य भाषा है इसमें गहराई है
धूमिल सी हो रही , चमक नहीं पाई है
इसको चमकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
अपने भारत वर्ष में उचित मिले जब इसको मान
तब विदेश में मानेंगे सब और इसे देंगे सम्मान
सुन्दरता ,सहजता और सच्चाई है
खुश्बू है इसमें पर महक नहीं पाई है
इसको मकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
बहुत समय बीत गया दबे और सहमें से
आगे तो आना है अब किसी को हममें से
आइये अब साथ मेरे कैसी निराशा है
जोर होगा हिन्दी का अब पलटा पाँसा है
इस पर इठलाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

आज हिन्दी दिवस में हम ये शपथ उठायें
हिन्दी में काम करें सब इसका नाम बढ़ायें
फलकेगी , चमकेगी और इठलायेगी
फैलेगी महकेगी और लहलहायेगी
इस पर इतराने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

हिन्दी को बढ़ाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

विभूति खरे
M.Sc.
पत्नी डा.प्रकाश खरे
मौसम वैज्ञानिक
पुणे , महाराष्ट्र

Wednesday 23 July, 2008

बदल डालो उसे , बह रही हवा जो .................

बदल डालो उसे , बह रही हवा जो .................

प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२

देश ने तो तरक्की बहुत की मगर , देश निष्ठा हुई आज बीमार है
बोलबाला है अपराध का हर जगह , जहाँ देखो वहीं कुछ अनाचार है


नीति नियमों को हैं भूल बैठे सभी , मूलतः जिनके हाथों में अधिकार हैं
नहीं जनहित का जिनको कोई ख्याल है , ऐसे लोगों की ही भरमार है
सोच उथला है , धनलाभ की वृत्ति है , दृष्टि ओछी , नहीं दूरदर्शी नयन
कुर्सियाँ लोभ के हैं भँवर जाल में , दूर उनसे बहुत अब सदाचार है

नियम और कायदे सिर्फ कहने को हैं , हर दुखी दर्द सहने को लाचार है
योजनायें अनेकों हैं कल्याण हित , किंतु जनता का बहुधा तिरस्कार है
सारे आदर्श तप त्याग गुम हो गये , बढ़ गया बेतरह अनीतिकरण
दलालों का चलन है , सही काम कोई चाह के भी न कर पाती सरकार है

देश कल कारखानों से बनते नही , देश बनते हैं श्रम और सदाचार से
देश के नागरिको की प्रतिष्ठा , चलन , समझ श्रम , गुण तथा उनके आचार से
है जरूरी कि अनुभव से लें सीख सब , सुधारे आचरण और वातावरण
सचाई , न्याय ,कर्तव्य की लें शरण , देश से अपने जो तनिक प्यार है

बदलने होंगे व्यवहार सबको हमें , अपने सुख के लिये देश हित के लिये
जहाँ भी है आज तक अंधेरा घना , जलाने होंगे उन झोपड़ियों में दिये
देश में आज जो सब तरफ हो रहा देख उसको जरूरी है नव जागरण
क्योंकि जो पीढ़ियाँ आने वाली हैं कल उनको भी सुख से जीने का अधिकार है

जो सरल शांत सच्चे हैं वे लुट रहे , सब लुटेरों के हाथो में व्यापार है
देश हित जिन शहीदों ने दी जान थी क्या यही उनकी श्रद्धा का उपहार है ?
है कसम देश की सब उठो बंधुओं ! बदल डालो उसे बह रही जो हवा
बढ़े नैतिक पतन हित हरेक नागरिक और नेता बराबर गुनहगार है .


प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर

Sunday 18 May, 2008

जयपुर बम विस्फोट पर


जयपुर बम विस्फोट पर

प्रो सी बी श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर

बह चुका आंसानियत का खून कई बाजार में
कोसते हैं लोग सब अब तुम्हें इस संसार में
सिरफिरों ! आतंकवादी ! आदमियत के दुश्मनों
आदमियत को भी तो समझो लौट फिर इंसा बनो

निरपराधों की निरर्थक ले रहे तुम जान क्यों
नासमझदारी पै अपनी है तुम्हें अभिमान क्यों
आये दिन चाहे जहाँ पर लगाते तुम आग हो
जला के रख देगी वह ही तुम्हारे ही बाग को

खून का औ आग का ये खेल है अच्छा नहीं
तुम्हारा ये जुनुं कल कर सकेगा रक्षा नहीं
आदमी हो ये नहीं है आदमी का आचरण
कुत्तों सा होता है जग में दुष्टों का जीवन मरण

जाति के भाषा के या फिर धर्म के उन्माद में
जो भी उलझे जग को उनने ही किया बरबाद है
किये तो विस्फोट इतने पर तुम्हें है क्या मिला
बद्दुआयें लेने सबकी कब रुकेगा सिलसिला

मिटा के औरों के घर परिवार उनकी जिंदगी
कर रहे हो तुम समझते हो खुदा की बन्दगी
तो ये जानो हर तरह से ये तुम्हारी भूल है
बोता जो जैसा वही मिलता उसे ये उसूल है

कुछ न हासिल होगा खुद के किये पै पछताओगे
कमाने को पुण्य निकले पाप में मिट जाओगे
राख हो जाओगे जलकर जुल्म की इस राह में
गलाने की शक्ति होती त्रस्त की हर आह में

जहाँ जन्में पले विकसे और सब कुछ पा रहे
उसी अपने देश और समाज को क्यों खा रहे
सही सोच विचार अब भी दिला सकता यश बड़ा
ज्योंकि अब्दुल हमीद को सम्मान पदक सुयश जड़ा




प्रो सी बी श्रीवास्तव

ये मन ध्यान प्रभु का भुलाने न पाये

ये मन ध्यान प्रभु का भुलाने न पाये

प्रो सी बी श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर

ये मन ध्यान प्रभु का भुलाने न पाये ।
शिथिलता कहीं कोई आने न पाये ।।

बड़ी ही प्रबल हैं विषय वासनायें
सदा अपने चंगुल में मन को फसाँये ।
वही बच सके जो रहे साफ निश्छल
औ प्रभु की कृपा से गये जो बचाये ।।१।।

यहाँ मोहमाया ने सबको भुलाया
न कोई समय पर कभी काम आया ।
हरेक रास्ते में है धोखे हजारों
सदा कर्म अपने ही बस काम आये ।।२।।

है दुनियाँ पुरानी मगर अजनबी है
कभी कुछ है लेकिन अलग कुछ कभी है ।
बदलती रही सदा ये अपनी चालें
करेगी ये कल फिर कोई क्या बताये ?३।।

है बस अपना खुद का औ प्रभु का सहारा
न ऐसा कोई जो कभी न हो हारा .।
थके हारे मन को मिली चेतना नई
तभी जब भी भगवान ने पथ दिखाये ।।४।।

सदा ध्यान से शुध्दता मन ने पाई
यही शुध्दता ही है सच्ची कमाई ।
सदा ज्योति बन आये भगवान आगे
कि निष्पाप मन से गये जब बुलाये ।।५।।

Friday 9 May, 2008

प्रकाशक चाहिए

आदरणीय महोदय,

विवेक के सारस्वत नमन
मेरी व्यंग कृति "रामभरोसे "को हाल में ही अखिल भारतीय दिव्य रजत अलंकरण प्राप्त हुआ.
मेरी कुछ व्यंग रचनायें आप मेरे ब्लाग http://vivekkevyang.blogspot.com पर देख सकते हैं .
मैं अपने अगले व्यंग संग्रह हेतु प्रकाशक के रूप में आपसे सहयोग का विनम्र आकांक्षी हूँ.

पिताजी प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव कृत रघुवंश व मेघदूत के श्लोकशह हिन्दी छन्द बद्ध पद्यानुवाद भी प्रकाशित करवाना चाहता हूँ .
कृपया संपर्क करें , जिससे पाण्डुलिपि प्रेषित कर सकूँ .
सादर ,
भवदीय
विवेक रंजन
०९४२५४८४४५२
vivekranjan.vinamra@gmail.com
Ex. Engineer
Qr. No. - C-6
M.P.S.E.B.Colony , Rampur , JABALPUR (MP)

प्रार्थना

प्रार्थना
प्रो सी॑ बी श्रीवास्तव विदग्ध
C-6 , M.P.S.E.B. Colony Rampur ,
Jabalpur (M.P.) 482008
मोबा ०९४२५४८४४५२



हे दीनबन्धु दयालु प्रभु तुम विश्व के आधार हो
तुम बिन्दु में हो सिन्धु , अणु में अपरिमित विस्तार हो ।

तुम चेतना , आलोक , ऊर्जा , गति अलख पावन परम्
तम में फँसे , माया भ्रमित , अल्पज्ञ , सीमित नाथ हम ।
निर्बल , समय की धार में असहाय बहते जा रहे
तुम कर कृपा दे हाथ अपना नाथ हमें उबार लो ।।१।। हे दीन...

आनन्द , सत् चित् , शाँत , शुभ , सत्यं , शिवं , तुम सुन्दरम्
अपने बुने ही जाल में भूले , फँसे , उलझे हैं हम
सब चाहकर भी रात दिन भ़म से सुलझ पाते नही
इस आर्त मन की दुख भरी प्रभु प्रार्थना स्वीकार हो ।।२।। हे दीन...

मिलता नही सुख चैन मन को कहीं भी संसार में
तृष्णा का माया मृग लुभाता मन को हर व्यवहार में ।
नल से निकल जल सी बही सी जा रही है जिन्दगी
इसको सहेज , सँवारने को देव अपना प्यार दो।।३।। हे दीन...

Wednesday 30 January, 2008

अपने शो रूम में मैं

Bio data of Er.Vivek Ranjan Shrivastava


Name Vivek Ranjan Shrivastava

Date of birth 28.07. 1959

Education
B.E. (Civil) in 1980 from Govt.College of Engineering &Technology, Raipur
Post Graduation in (Foundation Engineering) in 1981 from Maulana Azad College of Technology, Bhopal
Diploma in Management in first batch of Indira Gandhi National Open University, New Delhi
Course in Computer programming, from M.A.C.T. Bhopal
Certified Energy Manager from Bureau of Energy Efficiency New Delhi in 2008

Service
Joined as Assistant Engineer (civil) in M.P.Electricity Board in1981
Place of posting Bhopal, Sarni Thermal Power Plant, Birsinghpur Thermal Power plant, Jabalpur, Mandla, Seoni, Now at Jabalpur.
Worked in Survey & investigation wing prepared D.P.R. for proposed Atomic Power Plant, Hydrology for hydel projects.
Experience of civil construction & maintenance of colonies, 132kv &33/11kv sub stations.
Presently working as Additional Superintending Engineer in Vigilance Wing of M.P. Poorvi Kshetra Vidyut Vitran Company Jabalpur


Awards
Red & White social bravery award & so many for Hindi writings.
Books published “Rambharose” (Vyang Sangrah), Akrosh (Kavya Sangrah), Jadoo Shiksha ka (Natak), Hindosta Hamara (natak), Jal Jameen Aur Jangal, Etc.
My Bogs
http://nomorepowertheft.blogspot.com
http://vivekkevyang.blogspot.com
http://vivekkikavitaye.blogspot.com
http://vivekkenamaskar.blogspot.com
& Others

CONTACT
Mobile 09425484452
Phone (residence) 0761 2702081

Postal Address
Bungalow Number C/6 , M.P.S.E.B.Colony ,Rampur Jabalpur

Email vivekranjan.vinamra@gmail.com

वे कहते हैं हमने साथ दिया उनका

Mandla is known as a tribal district, famous for Kanha National Forest, worldwide.
I was posted there as Assistant Engineer in charge civil sub division M. P. State Electricity Board, about 20 class three & four employees were working under me. Last day of the month is salary day in our organization, In the evening when the disbursement of salary was over I noticed that few gundas of the township were roaming on bikes around the office premises & were talking to my employees in absurd manner. I gathered the information. I was stunned to know that most of the poor employees were under great debts & these gunda people were there to collect the SOOD i.e. very high rate of interest ranging 10 % to 20% every month. My employees have paid much more than what they have ever taken, but still the original loan amount was not reduced to any extent. The SOOD KHORES were in practice to take only the heavy interests. Poor fellows were not enough literate, most of them were in habit of playing SATTA, & were heavy drunker.
I could not digest the issue. I took initiation & held a meeting with employees & then with the moneylenders. We officers contributed some amount & after negotiation, threat of police complaint, final payments were settled with instructions not to give any further loan to any of my subordinates .In due course money contributed by officers was returned to them in installments. I motivated the employees, we started with AKHAND RAMAYAN PATH, family picnics, cultural activities in colony amongst family members of employees were conducted, and I promoted them for small savings with U T I., etc. All these activities resulted positively. Cordial, healthy supportive environment was created. Most of them left drinking in due course of time. Now I am posted at Jabalpur but whenever any of them come here they visit me with regards. 3-4 children have become engineer, girls got married, and few employees are retired now. They say that my small work have changed there life .

By
Er.VIVEK RANJAN SHRIVASTAVA
Contect 09425484452 /0761 2702081
Email vivekranjan.vinamra@gmail.com
Address C-6 ,MPSEB C0lony , Rampur, Jabalpur (MP) 482008

विभिन्न सामयिक विषयों पर मेरे विचार

मुझे समझना चाहें तो मेरे विभिन्न सामयिक विषयों पर
विचार भी जानें

विवेक रंजन श्रीवास्तव


कनाट प्लेस एनकाउंटर मामले में अदालत के फैसले के बाद क्या पुलिस विभाग कोई सबक लेगा? 10-25-07 (04:25 PM)
police is an institution , not a person , hence due to such dicisions no mejor changes occures in the working of departments. concerned officials may change alittel bit ,or the generous police men who can take lessons from others may improve themselves . but we can not hope a tremendus change. - vivek ranjan shrivastava jabalpur 10-26-07 (02:24 PM)

क्या सचिन तेंडुलकर बेहतर टेस्ट कप्तान साबित हो सकते हैं? 10-27-07 (08:46 PM)
shayad nahi , her khiladi ka graph pahle uper jata hai fir samay ke sath dhire dhire yeh kam hi hota hai. sachin samay se pahle uper ja chuke hai . ab unka carrier dhalan per mana ja sakta hai . bhartiy team ko ab apekha krit yuva netritv ki jarurat hai 10-29-07 (02:52 PM)

बढ़ती नक्सली हिंसा के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं? 10-29-07 (06:58 PM)
us samajik vyavastha , aur ghatiya rajniti ko jo sabko sahi rojgar nahi de pa rahi hai 10-30-07 (04:04 PM)

क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय क्रिकेट श्रृंखला जीतने में सफल होगा? 11-01-07 (03:48 PM)
jaroor, bharat ke pas housla hai , pichli jeet ka itihas bhi . 11-02-07 (11:59 AM)

नंदीग्राम मुद्‍दे पर ममता बनर्जी का इस्तीफा क्या सिर्फ राजनीतिक स्टंट है? 11-11-07 (09:46 PM)
bhedi aaya bhedia aaya wali kahani padhi hai na aapne , ab mamta ji sach me bhi istifa dengi to lagega to yahi ki yeh ek stant hi hai . kassh ki hamare neta kuch to gambhir ho jaye . 11-12-07 (11:04 AM)


क्या चयनकर्ताओं पर बीसीसीआई की रोक तर्कसंगत है? 11-20-07 (03:24 PM)

गलत , इससे स्वतंत्र निष्पक्ष चयन बधित होगा 11-20-07 (06:52 PM)

क्या कारण हैं कि देश में आतंकवादियों का नेटवर्क बढ़ता ही जा रहा है? 11-24-07 (04:44 PM)
उदार लोकतांत्रिक कार्य प्रणाली , कमजोर सरकार , स्वार्थी राज़ नीति, ढीली पोलिस, आत्मकेंद्रित लोग ही करण है 11-26-07 (01:39 PM)
किरण बेदी का पुलिस सेवा से मोह भंग होने के पीछे क्या राजनीतिक कारण जिम्मेदार हैं? 11-30-07 (04:42 PM)
किरन जी चूँकि महिला अधिकारी है व सदैव समाचारों मे बने रहने क गुण उनमें है अत्; उनका नौकरी से मोहभंग जैसी बातें बह्स का विषय हे वरना कितने ही लोग मन मारकर नौकरी कर रहे हे 12-01-07 (03:45 PM)

गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार हिन्दुत्व का मुद्‍दा चलेगा या विकास का? 12-03-07 (04:18 PM)
चलना तो चहिये विकास का पर डर है प्रतिक्रिया में हिंदुत्व क का न चल जवे 12-03-07 (05:15 PM)
क्या आडवाणी के नाम पर भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में वोट मिल पाएँगे? 12-11-07 (05:36 PM)
लकड़ी की handi बार बार नही चढ़ति 12-12-07 (04:14 PM)


क्या कारण हैं कि भारत में तेज गेंदबाजों को मदद देने वाले विकेट नहीं बनाए जाते? 12-14-07 (07:41 PM)
सर्वमान्य सत्य है कि stemina के मामले मे भारतीय पाश्चात्य लोगो के मुकाबले कमजोर ही है और तेज गेंदबाजी में कौशल से ज्यादा stemina जरूरी होता है यही करण है कि हमारे यहाँ तेज गेंदबाजी वाली पिचे नहीं बनती 12-15-07 (01:22 PM)


क्या किरण बेदी प्रकरण के बाद देश में ईमानदार पुलिस अफसरों का मनोबल गिरेगा? 12-27-07 (03:50 PM)
निश्चित रूप से , ऐसे प्रकरणों से ईमानदार ,कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों का मनोबल गिरता तो है पर कहा गया है "गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में " तो हम कामना यही करें कि सच के साथी गिरें न टूटें न ! 12-27-07 (05:45 PM)


क्या आतंकवादी हिंसा और दहशत के बीच पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव हो पाएँगे? 12-28-07 (03:39 PM)
बेनजीर की हत्या के बाद पाकिस्तान के हालात बेकाबू हो रहे हैं , ऐसे में निष्पक्ष चुनाव होने की कोई संभावना ही नहीं है . 12-28-07 (04:01 PM)


नए साल में लोगों को किस तरह के संकल्प लेना चाहिए? 01-01-08 (01:51 PM)
यूँ तो ये हम होते हैं जो किसी तारीख को स्वर्णाक्षरों से लिख देते हैं या फिर पोत देते हैं उस पर काली स्याही, पर फिर भी नये कैलेण्डर के साथ , नये संकल्प , और नई डायरी में पुराने हिसाब किताब लिखने से पहले , आइये मोबाइल के सारे मित्रों , परिचितों , अपरिचितों सबको प्रस्तुत करें शुभकामनायें , नव वर्ष केवल दीवार पर लगे कैलेण्दर का बदलाव मात्र है . अस्तु ! हर परिवर्तन जड़ता को तोड़ता है . नयी सोच को जन्म देता है , आइये संकल्प लें कि कुछ ऐसा करें कि समय की रेत पर ऐसे पग चिन्ह छोड़ सकें जो अमिट हों . प्रत्येक दम्पति अपने बच्चों को अच्छे नागरिक बनाये तो सारा समाज ही अच्छा बन सकेगा . विवेक रंजन श्रीवास्तव vivekranjan.vinamra@gmail.com 01-02-08 (04:00 PM)

क्या किरण बेदी को राजनीति में आना चाहिए? 01-05-08 (02:48 PM)
अवश्य , राजनीति में अनुकरणीय नेतृत्व देने वाले , जुझारू , स्वच्छ छबि और सही सोच के बुद्धिजीवीयों को आने की जरूरत समय की माँग है . 01-07-08 (11:51 AM)

क्या भारत-चीन सीमा विवाद का कभी सर्वसम्मत हल निकल पाएगा? 01-16-08 (04:46 PM)
सर्व संम्त हल तभी निकलते हैं जब दोनो पक्षों के अन्य हित विवादित सीमाओ के हितों से कहीं बड़े हो जायें , फिलहाल निकट भविष्य में तो ऐसी संभावना नहीं दिखती 01-17-08 (01:23 PM)

शेयर बाजार लगातार जारी गिरावट के क्या कारण हैं? 01-21-08 (06:19 PM)
बिना शेयर मारकेट के पूरे ज्ञान के ही निवेशको द्वारा अंधानुकरण में जल्दी से अमीर बनने की ख्वाहिश में निवेश , सेबी का अनियंत्रण , व वैश्विक प्रभाव. 01-22-08 (05:57 PM)

क्या आडवाणी के नेतृत्व में राजग को लोकसभा चुनाव में सफलता मिलेगी? 01-22-08 (05:27 PM)
भारत में हमेशा से चुनावों के अंतिम दिन ही आम मतदाता अपना करिश्माई फैसला करता आया है .इसलिये अभी से यह कह देना कि आडवाणी जी भाजपा को जिता ही देंगे ,बहुत जल्दबाजी होगी . पर हाँ ६० प्रतिशत संभावनायें तो लग रही हैं . 01-23-08 (05:01 PM)

पर्थ टेस्ट की तरह क्या टीम इंडिया एडीलेड में भी कंगारुओं को सबक सिखा पाएगी? 01-23-08 (03:57 PM)
एक भारतीय क्रिकेट के प्रेमी एवं प्रशंसक होने के नाते आशा तो करनी ही चाहिये. यद्यपि यह याद रखना ही चाहिये कि क्रिकेट में कभी भी कुछ भी हो सकता है . 01-25-08 (12:42 PM)

क्या आईपीएल से सितारों के जुड़ने से क्रिकेट के ग्लेमर और बढ़ेगा? 01-27-08 (04:14 PM)
जरूर बढ़ेगा, मेरा मानना है इससे दूसरेखेलो मे भि स्प्र्धॅबढ़ेगी 01-27-08 (08:56 PM)

Thursday 3 January, 2008

सिर्फ बातें व्यर्थ हैं कुछ काम होना चाहिये

सिर्फ बातें व्यर्थ हैं कुछ काम होना चाहिये

प्रो. सी.बी.श्रीवास्तव
सेवा निवृत प्राध्यापक
वर्तमान पता
c-6, mpseb colony, rampur Jabalpur ,पिन ४८२००८
फोन ०७६१ २७०२०८१
मोबा. ९४२५४८४४५२ email vivek1959@yahoo.co.in





सिर्फ बातें व्यर्थ हैं कुछ काम होना चाहिये
हर हृदय की शांति सुख आराम होना चाहिये

बातें तो होती बहुत पर काम हो पाते हैं कम
बातों में विश्वास कअ पेगअम होना चाहिये

उड़ती बातों औ॔ दिखावों से भला क्या फायदा
कअम हों जिनके सुखद परिणाम होनअ चाहिये

हवा के झोंकों से आके सोच यदि जावे बिखर
तो सजाने कअ उन्हें व्यायाम होना चाहिये

लोगों की नजरों में बसते स्वप्न हैं समृद्धि के
पाने नई उपलब्धि नित संग्राम होना चाहिये

पारदर्शी यत्न ऐसे हों जिन्हें सब देख लें
सफलता जो मिले उसका नाम होना चाहिये

सकारात्मक भावना भरती है हर मन में खुशी
सबके मन का आनन्द सुख का धाम होना चाहिये

आसुरी दुष्वृत्तियों के सामयिक उच्छेद को
साथ शाश्वत सजग तत्पर राम होना चाहिये !!