Sunday, 29 December 2019

किताबों का सफर नामा

वर्ष 1994 में मेरी पहली नई कविता की  किताब आई थी "आक्रोश " .

इसके बाद लगातार विभिन्न सांस्कृतिक साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजनों से जुड़ा रहा . महिष्मति महोत्सव , फ़िल्म स्टार नाइट जैसे भव्य  आयोजन सफलता पूर्वक हुए , रेवा तरंग , दिव्य नर्मदा जैसी  स्मारिकाएँ व पत्रिकाएं सम्पादन से जुड़ा रहा ।

2000 में कान्हा पर एक काफी टेबल बुक  आई।

2006 में व्यंग्य की किताब " रामभरोसे "  आई। पुरस्कृत हुई।

2007 में नाटक संग्रह " हिन्दोस्तां हमारा " आया ।साहित्य अकादमी ने रु31000 का हरिकृष्ण प्रेमी सम्मान इसके लिए दिया ।

2009 में व्यंग्य संग्रह " कौआ कान ले गया " छपा । इसे भी राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

वर्ष 2013 में किताब "  बिजली का बदलता परिदृश्य '  प्रकाशित हुआ ।बाद में  इसका दूसरा संस्करण भी छपा ।

2015 में "मेरे प्रिय व्यंग्य लेख"  सीरीज में मेरी किताब भी छपी ।

2015 में ही "जल जंगल और जमीन " जयपुर से छपी। स्कूलों में खूब खरीदी गई ।

इस बीच कुछ E बुक्स डेली हंट एप पर  भी आईं ।
अनेक सामूहिक संग्रहो में समय समय पर कुछ न कुछ मित्र बुलाकर छापते रहे हैं।
उसी प्रकाशक ने मांगकर 2015  में ही  मेरा पुरस्कार प्राप्त नाटक "  जादू शिक्षा का" छापा ।

2019 में रवीना प्रकाशन दिल्ली के चन्द्रहास जी से परिचय हुआ , सुपरिणाम रहा , वैश्विक व्यंग्य संग्रह " मिली भगत ".

अब 2020 में आने को है मेरा व्यंग्य संग्रह " खटर पटर ".










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