पुस्तक समीक्षा
अकाब
उपन्यास
लेखक प्रबोध कुमार गोविल
दिशा प्रकाशन दिल्ली
मूल्य २०० रु
पृष्ठ १२८
हिन्दी में समसामयिक मुद्दो पर कम ही उपन्यास लिखे जा रहे हैं . ऐसे समय में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर पर अलकायदा के हमले के संदर्भ को लेकर कहानी बुनते हुये , ग्लोबल विलेज बनती दुनियां से पात्र चयन कर "अकाब" लिखा गया है . जिसमें जापान से प्रारंभ नायक की यात्रा , न्यूयार्क और जम्मू काश्मीर तक का सफर करती है . एक मूलतः जापानी मसाज बाय के जीवन परिदृश्य को कहानी में बखूबी उतारा गया है . भाषा रोचक है .वर्णन इस तरह है कि पाठक के सम्मुख घटना चित्र खिंचता चला जाता है . वैश्विक परिदृश्य में उन्मुक्त फिल्मी सितारा स्त्री के चरित्र का वर्णन सजीव है .
न्यूयार्क शहर का वर्णन करते हुये लेखक लिखता है " पत्थरो के साम्राज्य में शीशे जड़कर सभ्यता की पराकाष्ठा मिट्टी को भुलाये बैठी थी " कांक्रीट के नये जंगलो के संदर्भ में यह वर्णन दुबई से लेकर मुम्बई और न्यूयार्क से लेकर टोकियो तक खरा है . पर लिखने का यह सामर्थ्य तभी संभव है जब लेखक ने स्वयं विश्व भ्रमण किया हो और भीतर तक महानगरो में गुमशुदा मिट्टी को महसूसा हो . इसी तरह वे लिखते हैं " चंद्रमा इन बिल्डिगो के गुंजलक के बीच ताक झांककर ही दिख पाता था . शहर आसमान के चांद का मोहताज भी नहीं था . जिसने भी बहुमंजिला इमारतो में रुपहली बिजली की चमक दमक देखी है वह इन शब्दो के भावार्थ समझ सकता है . जिस उपन्यास के पात्रो के नाम तनिष्क , मसरू ओस्से , आसानिका , सेलिना और शेख साहब, जान अल्तमश हों , आप समझ सकते हैं उसकी कहानी वैश्विक कैनवास पर ही लिखी होगी .प्रबोध एक जगह लिखते हैं " एसिया के कुछ देशों की प्रवृत्ति थी कि यहां यूरोप या अमेरिका के देशों में स्थापित मूल्य ज्यादा प्रामाणिक माने जाते हैं . " यह लेखक का अनुभूत यथार्थ जान पड़ता है . ट्विन टावर पर अलकायदा के हमले के संदर्भ में वर्णन है " विश्व की दो सभ्यताओं के बीच वैमनस्य की पराकाष्ठा के इस हादसे में हजारों लोगों ने अपनी जान बेवजह गंवाई . " स्टेच्यू आफ लिबर्टी के शहर में हुआ यह संकीर्ण मानसिकता का हमला सचमुच सभ्यता पर पोती गई कालिख थी . आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक जनमत इसी हमले के बाद बन सका है . काश्मीर में नायक को मसरू ओस्से की पूर्व में कभी भी न मिली हुयी पत्नी व बेटी से मिल जाना कहानी की नाटकीयता है .मसाज प्रक्रिया के उन्मुक्त वर्णन में बरती गई साब्दिक शालीनता उपन्यास के साहित्यिक स्तर को बनाये रखती है . अस्तु उपन्यास का विन्यास , कथा , रोचक है . उपन्यास एक बार पठनीय है . लेखक व दिशा प्रकाशन इसके लिये बधाई के पात्र हैं . मैं दिशा प्रकाशन के मधुदीप जी से लम्बे समय से सुपरिचित हूं . अकाब पक्षी का प्रतीक विमानो के लिये किया गया है , वे ही विमान जो दूरीयो को घण्टो में समेटकर सारी पृ्थ्वी को जोड़ रहे हैं पर जिनका इस्तेमाल ओसामा बिन लादेन ने ट्विन टावर पर हमले के लिये किया था .
अकाब
उपन्यास
लेखक प्रबोध कुमार गोविल
दिशा प्रकाशन दिल्ली
मूल्य २०० रु
पृष्ठ १२८
हिन्दी में समसामयिक मुद्दो पर कम ही उपन्यास लिखे जा रहे हैं . ऐसे समय में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर पर अलकायदा के हमले के संदर्भ को लेकर कहानी बुनते हुये , ग्लोबल विलेज बनती दुनियां से पात्र चयन कर "अकाब" लिखा गया है . जिसमें जापान से प्रारंभ नायक की यात्रा , न्यूयार्क और जम्मू काश्मीर तक का सफर करती है . एक मूलतः जापानी मसाज बाय के जीवन परिदृश्य को कहानी में बखूबी उतारा गया है . भाषा रोचक है .वर्णन इस तरह है कि पाठक के सम्मुख घटना चित्र खिंचता चला जाता है . वैश्विक परिदृश्य में उन्मुक्त फिल्मी सितारा स्त्री के चरित्र का वर्णन सजीव है .
न्यूयार्क शहर का वर्णन करते हुये लेखक लिखता है " पत्थरो के साम्राज्य में शीशे जड़कर सभ्यता की पराकाष्ठा मिट्टी को भुलाये बैठी थी " कांक्रीट के नये जंगलो के संदर्भ में यह वर्णन दुबई से लेकर मुम्बई और न्यूयार्क से लेकर टोकियो तक खरा है . पर लिखने का यह सामर्थ्य तभी संभव है जब लेखक ने स्वयं विश्व भ्रमण किया हो और भीतर तक महानगरो में गुमशुदा मिट्टी को महसूसा हो . इसी तरह वे लिखते हैं " चंद्रमा इन बिल्डिगो के गुंजलक के बीच ताक झांककर ही दिख पाता था . शहर आसमान के चांद का मोहताज भी नहीं था . जिसने भी बहुमंजिला इमारतो में रुपहली बिजली की चमक दमक देखी है वह इन शब्दो के भावार्थ समझ सकता है . जिस उपन्यास के पात्रो के नाम तनिष्क , मसरू ओस्से , आसानिका , सेलिना और शेख साहब, जान अल्तमश हों , आप समझ सकते हैं उसकी कहानी वैश्विक कैनवास पर ही लिखी होगी .प्रबोध एक जगह लिखते हैं " एसिया के कुछ देशों की प्रवृत्ति थी कि यहां यूरोप या अमेरिका के देशों में स्थापित मूल्य ज्यादा प्रामाणिक माने जाते हैं . " यह लेखक का अनुभूत यथार्थ जान पड़ता है . ट्विन टावर पर अलकायदा के हमले के संदर्भ में वर्णन है " विश्व की दो सभ्यताओं के बीच वैमनस्य की पराकाष्ठा के इस हादसे में हजारों लोगों ने अपनी जान बेवजह गंवाई . " स्टेच्यू आफ लिबर्टी के शहर में हुआ यह संकीर्ण मानसिकता का हमला सचमुच सभ्यता पर पोती गई कालिख थी . आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक जनमत इसी हमले के बाद बन सका है . काश्मीर में नायक को मसरू ओस्से की पूर्व में कभी भी न मिली हुयी पत्नी व बेटी से मिल जाना कहानी की नाटकीयता है .मसाज प्रक्रिया के उन्मुक्त वर्णन में बरती गई साब्दिक शालीनता उपन्यास के साहित्यिक स्तर को बनाये रखती है . अस्तु उपन्यास का विन्यास , कथा , रोचक है . उपन्यास एक बार पठनीय है . लेखक व दिशा प्रकाशन इसके लिये बधाई के पात्र हैं . मैं दिशा प्रकाशन के मधुदीप जी से लम्बे समय से सुपरिचित हूं . अकाब पक्षी का प्रतीक विमानो के लिये किया गया है , वे ही विमान जो दूरीयो को घण्टो में समेटकर सारी पृ्थ्वी को जोड़ रहे हैं पर जिनका इस्तेमाल ओसामा बिन लादेन ने ट्विन टावर पर हमले के लिये किया था .
vivek ranjan shrivastava
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