Sunday, 28 September 2008

दो टूक ...आहत है आम आदमी




दो टूक ...आहत है आम आदमी

माननीय अमिताभ जी ,
आप देश के करोड़ो युवाओ के रोल माडल थे , पर हिन्दी के मामले में जिस तरह आपने समझौते की स्वार्थी नीति अपनाई देश का आम आदमी
आहत हैं .


माननीय अर्जुन सिंग जी ,
आप अराजकता फैलाने में माहिर हैं . आपने फ्री बिजली बाँटी . आपने जिसने जहाँ कब्जा कर लिया उसे उस जमीन का पट्टा बाँटा , एड्हाक लोगों को बिना पी एस सी के रैग्युलर कर डाला .जब जितना मौका मिला आपने अराजकता फैलाकर , स्वयं की वाह वाही लूटी .अब आप आतंक वादियों के समर्थन में ... देश का आम आदमी
आहत हैं .
देश का आम आदमी
आहत हैं .

माननीय मुलायम सिग जी ,
सिमी का ऐसा समर्थन क्यों?देश का आम आदमी
आहत हैं .

Saturday, 27 September 2008

देवी गीत ...निशुल्क

देवी गीत ...
नव रात्री पर्व सारे देश में नौ दस दिनों तक देवी पूजन , भक्तिभाव पूर्ण गायन , उपवास , बड़े बड़े पंडालों की स्थापना , और गरबा के आयोजन कर मनाया जाता है . देवी गीतों का प्रचार सब तरफ बढ़ गया है . पावन पर्व में गीत संगीत से पवित्र भअवना का प्रादुर्भाव और प्रसार बड़ा सुखद व मन भावन होता है . इसी दृष्टि से हर वर्ष नवरात्रि से पहले नये नये देवीगीत , जस , नौराता , के कैसेट्स बाजार में आ जाते हैं . दूर दूर गाँव ,शहरों में उत्सव समितियां ये कैसेट्स अनवरत बजाकर एक भाव भक्ति का वातावरण बना देती हैं . अब तो नवरात्रि के अनुकूल एस एम एस , रिंगटोन , वालपेपर आदि की भी मार्केटिंग हो रही है . बाजार की इस बेहिसाब माँग के चलते अनेक सस्तुआ शब्दों हल्के मनोरंजन वाले विकृत मानसिकता के देवी गीत भी विगत में सुनने को मिले . इनसे मन कोपीड़ा होती है , यह सांस्कृतिक पराभव ठीक नहीं है .
सुरुचिपूर्ण भक्ति , व देवी उपासना के लिये गीत संगीत ऐसा होना चाहिये जो श्रद्धा , विश्वास, सद्भाव , समर्पण तथा भक्ति को बढ़ावा दे .
इसी उद्देश्य से मैंने कुछ भावपूर्ण , सुन्दर , व सार्थक शब्दमय देवी गीतों की रचना की है . जो भी गायक , सी.डी. निर्माता , भक्त , धार्मिक संस्थायें चाहे वे इन सोद्देश्य गीतों को मुझसे निशुल्क जनहित में प्राप्त कर उन्हें प्चारित करने हेतु कैसेट , सीडी बनवा सकते हैं . चाहें तो संपर्क करें .
प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
C / 6 ,विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
Email vivek1959@yahoo.co.in

Monday, 22 September 2008

देश सेवा में मन है तो उसके लिये



नेताओं से....................
by ..Prof.C.B.Shrivastava
C/6 , MPSEB Colony , Rampur ,JABALPUR (MP
mob. 09229118812)
देश सेवा परम उच्च आदर्श है
लोगों ने जानें तक दी हैं इसके लिये।
सोचिये आज क्या कर रहे आप हैं
यह उठापटक है सारी किसके लिये ?
देश सेवा में मन है तो उसके लिये
किसी कुर्सी या पद की जरूरत नहीं।
सैकड़ों काम दुनियॉं में सेवा के हैं
जो करें कुछ तो जीवन में फुरसत नहीं ।।
सिर्फ संकल्प के सिवा कुछ भी नहीं
सेवा करने को केवल लगन चाहिये।
अपने मन से भला पूछिये तो जरा
हैं ये कसरत-कवायत भला किसलिये ? ।।1।।
आज इस दल में है, कल किसी और में,
फिर किसी और में फिर किसी और में।
शांति मन की गंवा यों भटक क्यों रहे
भला हासिल क्या यों मन की झकझोर में ।।
है दलों में विचारों की जो भिन्नता
तो चुनावों में कुर्सी का कठजोड़ क्यो ?
देष भी है वहीं और जनता वहीं
लक्ष्य सेवा है तो दलबदल किसलिये ? ।।2।।
व्रत है सेवा का जो, धन का क्यों मोह तो,
क्यों ये सारे हवाले-घोटाले हुये ?
खेले जाते हैं क्यों, कुर्सी के वास्ते
पर्दे के पीछे आवागमन के जुये ?
मोह से जागिये, स्वार्थ को त्यागिये
खुदको भी धोखा देना मुनासिब नहीं
जीतना सारी जनता का मन है उचित
अपनी छबि साफ सुथरी रखें इसलिए ।।3।।

प्रो.सी.बी. श्रीवास्तव `विदग्ध´

Friday, 12 September 2008

हिन्दी दिवस पर.............

हिन्दी और हिन्दी दिवस
प्रो.सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
सी.६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
कहते सब हिन्दी है बिन्दी भारत के भाल की
सरल राष्ट्र भाषा है अपने भारत देश विशाल की
किन्तु खेद है अब तक दिखती नासमझी सरकार की
हिन्दी है आकांक्षी अब भी संवैधानिक अधिकार की !!
सिंहासन पर पदारूढ़ है पर फिर भी वनवास है
महारानी के राजमहल में दासी का वास है
हिन्दी रानी पर प्रशासनिक अंग्रेजी का राज है
हिन्दी के सिर जो चाहिये वह अंग्रेजी के ताज है
इससे नई पीढ़ी में दिखता अंग्रेजी का शोर है
शिक्षण का माध्यम बन बैठी अंग्रेजी सब ओर है
अंग्रेजी का अपने ढ़ंग का ऐसा हुआ पसारा है
बिन सोचे समझे लोगो ने सहज उसे स्वीकारा है
सरल नियम है शासन करता जिसका भी सम्मान है
हर समाज में स्वतः उसी का होने लगता मान है
ग्रामीणों की बोली तक में अब उसकी घुसपैठ है
बाजारों , व्यवहारों में, हर घर में, उसकी ऐठ है
हिन्दी वाक्यों में भी हावी अंग्रेजी के शब्द हैं
जबकि समानार्थी उन सबके हिन्दी में उपलब्ध हैं
गलत सलत बोली जाती अंग्रेजी झूठी शान से
जो बिगाड़ती है संस्कृति को भाषा के सम्मान को
साठ साल की आयु अपनी हिन्दी ने यूँ ही काटी है
हिन्दी दिवस मुझे तो लगता अब केवल परिपाटी है
कल स्वरूप होगा हिन्दी का प्रखर समझ में आता है
अंग्रेजी का भारत के बस दो ही प्रतिशत से नाता है
हिन्दी का विस्तार हो रहा भारी आज विदेशों में
जो बोली औ॔ समझी जाती सभी सही परिवेशों में
बढ़ती जाती रुचि दुनियाँ की हिन्दी के सम्मान में
किन्तु उचित व्यवहार न देखा जाता हिन्दुस्तान में
अच्छा हो शासन समाज समझे अपने व्यवहार को
ना समझी से नष्ट करे न भारतीय संस्कार को
हिन्दी निश्चित अपने ही बल आगे बढ़ती जायेगी
भारत भर की नहीं विश्व की शुभ बिन्दी बन जायेगी
Prof. C. B. Shrivastava "vidagdha"

Thursday, 11 September 2008

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है


आप भी इसका इस्तेमाल करें

by vibhuti khare
vibhutikhare@ymail.com

हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
इसको बढ़ाने की मेरी अभिलाषा है
हर भारत वासी के दिल में समाई है
पर इंग्लिश के बोझ तले फलक नही पाई है
इसको फलकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है ..
संस्कृत की बेटी है , और राष्ट्र भाषा है
सीधी है सरल है हम सबकी आशा है
शीघ्र ग्राह्य भाषा है इसमें गहराई है
धूमिल सी हो रही , चमक नहीं पाई है
इसको चमकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
अपने भारत वर्ष में उचित मिले जब इसको मान
तब विदेश में मानेंगे सब और इसे देंगे सम्मान
सुन्दरता ,सहजता और सच्चाई है
खुश्बू है इसमें पर महक नहीं पाई है
इसको मकाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है
बहुत समय बीत गया दबे और सहमें से
आगे तो आना है अब किसी को हममें से
आइये अब साथ मेरे कैसी निराशा है
जोर होगा हिन्दी का अब पलटा पाँसा है
इस पर इठलाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

आज हिन्दी दिवस में हम ये शपथ उठायें
हिन्दी में काम करें सब इसका नाम बढ़ायें
फलकेगी , चमकेगी और इठलायेगी
फैलेगी महकेगी और लहलहायेगी
इस पर इतराने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

हिन्दी को बढ़ाने की मेरी अभिलाषा है
हिन्दी है नाम इसका , भारत की भाषा है

विभूति खरे
M.Sc.
पत्नी डा.प्रकाश खरे
मौसम वैज्ञानिक
पुणे , महाराष्ट्र