Saturday, 4 December 2010

विकीलीक्स भी सीआईए की सोची समझी कूटनीति न हो..????

आजकल तो ये शक होने लगा है कि जिस तरह से पूरी दुनिया में सब कुछ फिक्स और प्रायोजित होने लगा है, कहीं विकीलीक्स भी सीआईए की सोची समझी कूटनीति न हो.जो तथ्य अमरीका प्रत्यक्ष तौर पर नहीं बता पा रहा है वो अप्रत्यक्ष तौर पर बताने की कोशिश कर रहा हो? यदि मेरा यह अनुमान सच नही है तो सचमुच इंटरनेट अमरीका के गले की हड्डी सिद्व हो रहा है.




पत्रकार स्वतंत्र होता है.उससे यह उम्मीद ही बेकार है कि वह केवल लिखेगा भर. लिखने का मसाला जुटाने के लिए जब वह चार जगह उठता बैठता है तो कुछ उसके मित्र बनते हैं,कुछ दुश्मन.फिर आज के भौतिक युग में उसे भी धन की चाहत होती ही है,तो वह कुछ अतिरिक्त कर बैठता है और ऐसी कहानियाँ बन जाती हैं.



अंतरराष्ट्रीय खेलों की पदक तालिकाओ में भारतीय बालाओ की बढ़ती संख्या इस तथ्य को रेखाकिंत करती है कि स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में व्यापक बदलाव हुआ है. सच तो ये है कि खेल ही नहीं हर क्षेत्र में भारतीय नारियां पुरुषों की बराबरी से कर रहीं हैं.



जातिवाद के आधार पर इतनी बड़ी जीत संभव ही नही थी. बिहार को जब नितीश जी ने संभाला था तब जैसी सामाजिक स्थितियां थीं, अपहरण था गुण्डाराज था, देर रात की तो बात ही छोड़ें शाम से ही सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था, महिलाएं, ग़रीब असुरक्षित थे, सड़कों के हालात खराब थे. इन सबमें जो बुनियादी परिवर्तन विगत वर्षो में जनता ने देखे हैं, उसी के चलते नीतीश पुनः सत्ता में आये हैं.

3 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

विभिन्न विषयों पर आपकी संक्षिप्त टिप्पणी अच्छी लगी.. वास्तव में बिहार बदल रहा है..

mark rai said...

aisa ho bhi sakta hai...aajkal kuch bhi international politics me possible hai ....

बवाल said...

ठीक कहा जी आपने।