Friday 24 December, 2010

बीत जाने को है २०१०.

रामभरोसे मतलब आमआदमी , साल दर साल राम के ही भरोसे जी रहा है . अयोध्या विवाद पर एक फैसला उसके राम के नाम पर जमीन के आबंटन का भी २०१० की बड़ी घटनाओ में है .. खेलो में विश्व रिकार्ड तो बनते टूटते रहेंगे , किन्तु खेलो के आयोजन की व्यवस्थाओ से भ्रष्टाचार को जो सार्वजनिक मान्यता मिल रही है वह दूरगामी कुप्रभाव छोड़ेगी ..विकी लीक्स और नीरा राडिया मीडिया के दो पहलू हैं ..
दरअसल साल तो महज कैलेण्डर के पन्ने हैं उन पर जो इबारत लिखी जाती है ,वह हमारी करतूत है .. और हम बहुत शातिर होते जा रहे हैं ..

Thursday 23 December, 2010

रामचरित मानस के मनोरम प्रसंग

रामचरित मानस के मनोरम प्रसंग

विवेक रंजन श्रीवास्तव

मो . 09425806252

हम , आस्था और आत्मा से राम से जुडे हुये हैं । ऐसे राम का चरित प्रत्येक दृष्टिकोण से हमारे लिये केवल मनोरम ही तो हो सकता है । मधुर ही तो हो सकता है। अधरं मधुरमं वदनम् मधुरमं ,मधुराधि पते रखिलमं मधुरमं -कृष्ण स्तुति में रचित ये पंक्तियां इष्ट के प्रति भक्त के भावों की सही अनुभूति है, सच्ची अभिव्यक्ति है । जब श्रद्वा और विश्वास प्राथमिक हों तो शेष सब कुछ गौंण हो जाता है। मात्र मनोहारी अनुभूति ही रह जाती है। मां प्रसव की असीम पीडा सहकर बच्चे को जन्म देती है , पर वह उसे उतना ही प्यार करती है ,मां बच्चे को उसके प्रत्येक रूप में पसंद ही करती है। सच्चे भक्तों के लिये मानस का प्रत्येक प्रसंग ऐसे ही आत्मीय भाव का मनोरम प्रसंग है।

किन्तु कुछ विशेष प्रसंग भाषा ,वर्णन , भाव , प्रभावोत्पादकता ,की दृष्टि से बिरले हैं । इन्हें पढ ,सुन, हृदयंगम कर मन भावुक हो जाता है । श्रद्वा ,भक्ति , प्रेम , से हृदय आप्लावित हो जाता है । हम भाव विभोर हो जाते हैं । अलौलिक आत्मिक सुख का अहसास होता है ।

राम चरित मानस के ऐसे मनोरम प्रसंगों को समाहित करने का बिंदु रूप प्रयास करें तो वंदना , शिव विवाह , राम प्रागट्य , अहिल्या उद्वार ,पुष्प वाटिकाप्रसंग , धनुष भंग , राम राज्याभिषेक की तैयारी , वनवास के कठिन समय में भी केवट प्रसंग , चित्रकूट में भरत मिलाप , शबरी पर राम कृपा , वर्षा व शरद ऋतु वर्णन ,रामराज्य के प्रसंग विलक्षण हैं जो पाठक ,श्रोता , भक्त के मन में विविध भावों का संचार करते हैं । स्फुरण के स्तर तक हृदय के अलग अलग हिस्से को अलग आनंदानुभुति प्रदान करते हैं । रोमांचित करते हैं । ये सारे ही प्रसंग मर्म स्पर्शी हैं , मनोरम हैं ।
मनोरम वंदना
जो सुमिरत सिधि होई गण नायक करि बर बदन

करउ अनुगृह सोई , बुद्वि रासि सुभ गुन सदन

मूक होहि बाचाल , पंगु चढिई गिरि बर गहन

जासु कृपासु दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन

प्रभु की ऐसी अद्भुत कृपा की आकांक्षा किसे नहीं ऐसी मनोरम वंदना अंयत्र दुर्लभ है । संपूर्ण वंदना प्रसंग भक्त को श्रद्वा भाव से रूला देती है।
शिव विवाह
शिव विवाह के प्रसंग में गोस्वामी जी ने पारलौकिक विचित्र बारात के लौककीकरण का ऐसा दृश्य रचा है कि हम हास परिहास , श्रद्वा भक्ति के संमिश्रित मनो भावों के अतिरेक का सुख अनुभव करते हैं ।

गारीं मधुर स्वर देहिं सुंदरि बिंग्य बचन सुनावहीं

भोजन करहिं सुर अति बिलंबु बिनोदु सुनि सचु पावहिं

जेवंत जो बढ्यो अनंदु सो मुख कोटिहूं न परै कह्यो

अचवांई दीन्हें पान गवनें बास जहं जाको रह्यो ।



राम जन्म नहीं हुआ , उनका प्रागट्य हुआ है ।


भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी

हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी

लोचन अभिरामा तनु घनश्यामा निज आमुद भुजचारी

भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभा सिंधु खरारी

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा

कीजै सिसु लीला अति प्रिय सीला यह सुख परम अनूपा

सचमुच यह सुख अनूपा ही है । फिर तो ठुमक चलत राम चंद्र ,बाजत पैजनियां.... , और गुरू गृह पढन गये रघुराई.... , प्रभु राम के बाल रूप का वर्णन हर दोहे ,हर चैपाई , हर अर्धाली, हर शब्द में मनोहारी है ।

अहिल्या उद्वार

परसत पद पावन सोक नसावन प्रगट भई तप पुंज सही

देखत रघुनायक जन सुखदायक सनमुख होइ कर जोरि रही

अति प्रेम अधीरा पुलक सरीरा मुख नही आवई बचन कही

अतिसय बड भागी चरनन्हि लागी जुगल नयन जल धार बही

मन मस्तिष्क के हर अवयव पर प्रभु कृपा का प्रसाद पाने की आकांक्षा हो तो इस प्रसंग से जुडकर इसमें डूबकर इसका आस्वादन करें , जब शिला पर प्रभु कृपा कर सकते हैं तो हम तो इंसान हैं । बस प्रभु कृपा की सच्ची प्रार्थना के साथ इंसान बनने के यत्न करें , और इस प्रसंग के मनोहारी प्रभाव देखें ।

पुष्प वाटिका प्रसंग

श्री राम शलाका प्रश्नावली के उत्तर देने के लिये स्वयं गोस्वामी जी ने इसी प्रसंग से दो सकारात्मक भावार्थों वाली चैपाईयों का चयन कर इस प्रसंग का महत्व प्रतिपादित कर दिया है ।

सुनु प्रिय सत्य असीस हमारी पूजहिं मन कामना तुम्हारी

एवं

सुफल मनोरथ होंहि तुम्हारे राम लखन सुनि भए सुखारे

जिस प्रसंग में स्वयं भगवती सीता आम लडकी की तरह अपने मन वांछित वर प्राप्ति की कामना के साथ गिरिजा मां से प्रार्थना करें उस प्रसंग की आध्यत्मिकता पर तो ज्ञानी जन बडे बडे प्रवचन करते हैं । इसी क्रम में धनुप भंग प्रकरण भी अति मनोहारी प्रसंग है ।

राम राज्याभिषेक की तैयारी

लौकिक जगत में हम सबकी कामना सुखी परिवार की ही तो होती है समूची मानस में मात्र तीन छोटे छोटे काल खण्ड ही ऐसे हैं जब राम परिवार बिना किसी कठिनाई के सुखी रह सका है ।

पहला समय श्री राम के बालपन का है । दूसरा प्रसंग यही समय है जब चारों पुत्र ,पुत्रवधुयें , तीनों माताओं और राजा जनक के साथ संपूर्ण भरा पूरा परिवार अयोध्या में है , राम राज्याभिपेक की तैयारी हो रही है । तीसरा कालखण्ड राम राज्य का वह स्वल्प समय है जब भगवती सीता के साथ राजा राम राज काज चला रहे हैं ।

राम राज्याभिषेक की तैयारी का प्रसंग अयोध्या काण्ड का प्रवेश है । इसी प्रसंग से राम जन्म के मूल उद्देश्य की पूर्ति हेतु भूमिका बनती है । लौकिक दृष्टि से हमें राम वन गमन से ज्यादा पीडादायक और क्या लग सकता है पर जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है । पल भर में होने वाला राजा वनवासी बन सकता है , वह भी कोई और नहीं स्वयं परमात्मा ! इससे अधिक शिक्षा और कैसे प्रसंग से मिल सकती है ।यह गहन मनन चिंतन व अवगाहन का मनोहारी प्रसंग है।

केवट प्रसंग

मांगी नाव न केवट आना कहई तुम्हार मरमु मैं जाना

जिस अनादि अनंत परमात्मा का मरमु न कोई जान सका है न जान सकता है , जो सबका दाता है , जो सबको पार लगाता है , वही सरयू पार करने के लिये एक केवट के सम्मुख याचक की मुद्रा में है! और बाल सुलभ भाव से केवट पूरे विश्वास से कह रहा है - प्रभु तुम्हार मरमु मैं जाना। और तो और वह प्रभु राम की कृपा का पात्र भी बन जाता है । सचमुच प्रभु बाल सुलभ प्रेम के ही तो भूखे हैं । रोना आ जाता है ना .. कैसा मनोरम प्रसंग है ।

इसी प्रसंग में नदी के पार आ जाने पर भगवान राम केवट को उतराई स्वरूप कुछ देना चाहते हैं किन्तु वनवास ग्रहण कर चुके श्रीराम के पास क्या होता यहीं भाव , भाषा की दृष्टि से तुलसी मनोरम दृश्य रचना करते हैं । मां सीता राम के मनोभावों को देखकर ही पढ लेती हैं ,और -

‘‘ पिय हिय की सिय जान निहारी , मनि मुदरी मन मुदित उतारी ’’ ।

भारतीय संस्कृति में पति पत्नी के एकात्म का यह श्रेष्ठ उदाहरण है ।





चित्रकूट में भरत मिलाप

आपके मन के सारे कलुष भाव स्वतः ही अश्रु जल बनकर बह जायेंगे , आप अंतरंग भाव से भरत के त्याग की चित्रमय कल्पना कीजीये , राम को मनाने चित्रकूट की भरत की यात्रा , आज भी चित्रकूट की धरती व कामद गिरि पर्वत भरत मिलाप के साक्षी हैं । इसी चित्रकूट में -

चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर , तुलसीदास चंदन घिसें तिलक देत रघुबीर

यह तीर्थ म.प्र. में ही है , एक बार अवश्य जाइये और इस प्रसंग को साकार भाव में जी लेने का यत्न कीजीये । राम मय हो जाइये ,श्रद्वा की मंदाकिनी में डुबकी लगाइये ।

बरबस लिये उठाई उर , लाए कृपानिधान

भरत राम की मिलनि लखि बिसरे सबहि अपान ।

भरत से मनोभाव उत्पन्न कीजीये ,राम आपको भी गले लगा लेंगें ।

शबरी पर कृपा

नवधा भक्ति की शिक्षा स्वयं श्री राम ने शबरी को दी है । संत समागम , राम कथा में प्रेम , अभिमान रहित रहकर गुरू सेवा , कपट छोडकर परमात्मा का गुणगान , राम नाम का जाप ईश्वर में ढृड आस्था, सत्चरित्रता , सारी सृष्टि को राम मय देखना , संतोषं परमं सुखं , और नवमीं भक्ति है सरलता । स्वयं श्री राम ने कहा है कि इनमें से काई एक भी गुण भक्ति यदि किसी भक्त में है तो - ‘‘सोइ अतिसय प्रिय भामिनि मोरे ।’’ जरूरत है तो बस शबरी जैसी अगाध श्रद्वा और निश्छल प्रेम की । राम के आगमन पर शबरी की दशा यूं थी -

प्रेम मगन मुख बचन न आवा पुनि पुनि पद सरोज सिर नावा

ऋतु वर्णन

गोस्वामी तुलसी दास का साहित्यिक पक्ष वर्षा ,शरद ऋतुओं के वर्णन और इस माध्यम से प्रकृति से पाठक का साक्षात्कार करवाने में , मनोहारी प्रसंग किष्किन्धा काण्ड में मिलता है ।

छुद्र नदी भर चलि तोराई जस थोरेहु धनु खल इतिराई

प्रकृति वर्णन करते हुये गोस्वामी जी भक्ति की चर्चा नहीं भूलते -

बिनु घन निर्मल सोह अकासा हरिजन इव परिहरि सब आसा

रामराज्य

सुन्दर काण्ड तो संपूर्णता में सुन्दर है ही । रावण वध , विभीषण का अभिषेक , पुष्पक पर अयोध्या प्रस्थान आदि विविध मनोरम प्रसंगों से होते हुये हम उत्तर काण्ड के दोहे क्रमांक 10 के बाद से दोहे क्रमांक 15 तक के मनोरम प्रसंग की कुछ चर्चा करते है । जो प्रभु राम के जीवन का सुखकर अंश है । जहां भगवती सीता ,भक्त हनुमान , समस्त भाइयों , माताओं , अपने वन के साथियों , एवं समस्त गुरू जनों अयोध्या के मंत्री गणों के साथ हमारे आराध्य राजा राम के रूप में आसीन हैं । राम पंचायतन यहीं मिलता है । ओरछा के सुप्रसिद्व मंदिर में आज भी प्रभु राजा राम अपने दरबार सहित इसी रूप में विराजमान है।
राज्य संभालने के उपरांत ‘ जाचक सकल अजाचक कीन्हें ’ राजा राम हर याचना करने वाले को इतना देते हैं कि उसे अयाचक बनाकर ही छोडते हैं , अब यह हम पर है कि हम राजा राम से क्या कितना और कैसे , किसके लिये मांगते हैं । हमें अपने सत्कर्मों से अपने ही हृदय में बिराजे राजा राम के दरबार में पहुंचने की पात्रता तो हासिल करनी ही होगी । तभी तो हम याचक बन सकते हैं ।

जय राम रमारमनं समनं भवताप भयाकुल पाहि जनं

अवधेश सुरेश रमेस विभो सरनागत मागत पाहि प्रभो


बस इसी विनती से इस मनोरम प्रसंग का आनंद लें कि


गुन सील कृपा परमायतनं प्रनमामि निरंतर श्री रमनं

रघुनंद निकंदय द्वंद्वघनं महिपाल बिलोकय दीनजनं ।।

जय राजा राम जय श्रीराम

Friday 17 December, 2010

ठगी तरह तरह से

ठगी तरह तरह से


मुझे आज यह मेल मिला ..
मेल की भाषा से ही मैं समझ रहा हूं कि यह इंटरनेट द्वारा ठगी का एक नया नुस्खा मात्र है , ८२००.०० रु जमा करवाने की एक साजिश ....आप भी इसे पढ़कर मजे लीजीये और मित्रो को सावधान कीजीये ...

MARUTI SUZUKI INDIA LTD (MSIL)Head Office Maruti Suzuki,India Limited Nelson Mandela Road,Vasant Kunj, New Delhi-110070.Board no.46781000.Fax: 46150275 and 46150276Tell: +91-9873955265 begin_of_the_skype_highlighting +91-9873955265 end_of_the_skype_highlightingmarutisuzuki@email.chREF:

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Your Resume has been selected from MONSTER.COM for our new plant. TheCompany selected 62 candidates list for Senior Engineer, IT,Administration, Production, marketing and general service Departments, Itis our pleasure to inform you that your Resume was selected as one of the62 candidates shortlisted for the interview. The Company SUZUKI is thebest Manufacturing Car Company in India, The Company is recruiting thecandidates for our new Plants in Delhi, Bangalore, and Pune andmumbai.Your interview will be held at The Company Corporate office in NewDelhi on 22th Of December at 11.30 AM, You will be pleased to know ThatThe 62 candidates selected 55 candidates will be giving appointment,Meaning that your Application can progress to final stage. You will havecome to The Company corporate office in New Delhi. Your offer letter withAir Ticket will be sent to you by courier before date of interview. TheCompany can offer you a salary with benefits for this post 62, 000/- to200, 000/- P.M. + (HRA + D.A + Conveyance and other Company benefits. Thedesignation and Job Location will be fixing by Company HRD. At time offinal process. You have to come with photo-copies of all requireddocuments.REQUIRED DOCUMENTS BY THE COMPANY HRD.======================================
1) Photo-copies of Qualification Documents.
2) Photo-copies of Experience Certificates (If any)
3) Photo-copies of Address Proof
4) Two Passport Size Photograph.
You have to deposit the (Cash) as an initial amount in favor of ourcompany accountant name in charges to collect your payment. Department.for Rs. 8,200/- ( Eight thousand two hundred rupees ) through any [STATEBANK OF INDIA] OR [ICICI BANK] Branch from your Home City to our Companyaccountant name in charges. Account NO, which will be sending to you uponyour response. This is a refundable interview security. Your offer letterwith Air tickets will be sent to your Home Address by courier afterreceiving the confirmation of interview security deposited in any of theSTATE BANK OF INDIA OR ICICI BANK. This Company will pay all theexpenditure to you at the time of face-to-face meeting with you inCompany. The Job profile, salary offer, and date -time of interview willbe mention in your offer letter. Your offer letter will dispatch veryshortly after receiving your confirmation of cash deposited in STATE BANKOF INDIA OR ICICI BANK. We wish you the best of luck for the subsequentand remaining stage. The last date of security deposited in bank 21th OfDecember 2010 you have to give the information after deposited thesecurity amount in bank to The Company HRD -direct recruitment via email.Your Letter with supporting document will be dispatch same time bycourier to your postal address after receipt of security depositedconfirmation in bank. The interview process and arrangement expenditurewill be paid by SUZUKI COMPANY. Lodging, traveling and local conveyanceactual will be paid by SUZUKI COMPANY as per bills. The candidate has todeposit the initial refundable security as mentioned by HRD.NB: You areadvice to reconfirm your mailing address and phone number in your reply.And 8,200/- (Eight thousand Two hundred rupees) will be the refundableamount, as 200 rupees will be deducted as bank charges for funds deposit.and if you are been selected or not, still the amount will be refunded toyou, as the amount is just to prove that you will be coming for theinterview in order for us not to run at lost after sending you the airticket and you don't show up on the day of interview. Wishing you thebest of lucksRegards,
Shinzo Nakanishi
Chief Executive Officer, Managing Director,

Tuesday 14 December, 2010

दीदी जी क्या रविवार को भी हम लोगो को स्कूल से खाना नही मिल सकता ?

दीदी जी क्या रविवार को भी हम लोगो को स्कूल से खाना नही मिल सकता ?


"अक्षय पात्र " की सफलता की अशेष मंगलकामनायें ...





अनुव्रता श्रीवास्तव

बी. ई . कम्प्यूटर्स

ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर



पिछले रविवार की बात है , मैं छुट्टी मनाने के मूड में थी बगीचे में धूप का आनंद ले रहा थी और मम्मी की जल्दी नहा लेने की हिदायत को अनसुना करती अखबार में भ्रष्टाचार की बड़ी बड़ी खबरो के साथ चाय की छोटी छोटी चुस्कियां ले रही थी ,तभी हमारी काम वाली अपनी बच्ची सोनाली के साथ आई . काम वाली तो भीतर काम में व्यस्त हो गई और मैं उसकी बेटी सोनाली से जो अखबार में झांक रही थी , बतियाने लगी . मैने सोनाली से उसकी पढ़ाई की बातें की , मुझे ज्ञात हुआ कि उसके स्कूल में उसे और क्लास की सभी बच्चियों को साइकिल मिली थी ,किताबें भी मुफ्त मिली थी . दोपहर में उनको भोजन भी मिलता है , कभी दाल दलिया , कभी सब्जी चावल या अन्य कुछ . जब सोनाली ने पूछा कि , दीदी जी क्या रविवार को भी हम लोगो को स्कूल से खाना नही मिल सकता ? तब मुझे मिड डे मील की योजना का महत्व समझ आया .मेरे मन में भीतर तक सोनाली का प्रश्न गूंज रहा था ,दीदी जी क्या रविवार को भी हम लोगो को स्कूल से खाना नही मिल सकता ?

लंच पर मैने यह बात डाइनिंग टेबल पर छेड़ी तो पापा ने बतलाया कि शायद तब वे कक्षा दूसरी में पढ़ते थे , एक दिन उनके स्कूल में मिल्क पाउडर से बना दूध कक्षा के सभी बच्चो को दिया जा रहा था ,पापा ने बताया कि तब तो उन्हें समझ नही आया था कि ऐसा क्यो किया गया था ? उन्होंने बताया कि संभवतः वह यूनेस्को का कोई कार्यक्रम था जिसके अंतर्गत बच्चो के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिये स्कूल में एक दिन वह दूध वितरण किया गया रहा होगा !

तेजी से बढ़ती आबादी भारत की सबसे बड़ी समस्या है . इसके चलते बच्चो में कुपोषण के आंकड़े चिंताजनक स्तर पर हैं .विभिन्न विश्व संगठन , केंद्र व राज्य सरकारें तो अपने अपने तरीको से महिला एवं बाल कल्याण विभाग , स्वास्थ्य विभाग , समाज कल्याण विभाग आदि के माध्यम से बच्चो के लिये अनेकानेक योजनाओ के द्वारा जन कल्याणकारी योजनायें चला ही रही हैं . किन्तु सुरसा के मुख सी निरंतर विशाल होती जाती यह आहार समस्या बहुत जटिल है , और इसे हल करने में हम सबकी व्यैक्तिक व सामाजिक स्तर पर मदद जरूरी है . केवल सरकारो पर यह जबाबदारी छोड़कर हम निश्चिंत नही हो सकते , यह तथ्य मैं तब बहुत अच्छी तरह समझ चुकी हूं जब हमारे घर की कामवाली की बेटी सोनाली ने मुझसे बहुत मासूमयित से पूछा था दीदी जी क्या रविवार को भी हम लोगो को स्कूल से खाना नही मिल सकता ? हर धर्म हमें यही शिक्षा देता है और सभ्य समाज का यही तकाजा है कि जब तक पड़ोसी भूखा हो हमें चैन की नींद नही सोना चाहिये . फिर यह तो नन्हें बच्चो की भूख का सवाल है .मंदिर , गुरुद्वारे या अन्य धार्मिक स्थलो पर गरीबो की मदद करके शायद हम अपने आप को ही खुशी देते हैं. हममें से अनेक साधन संपन्न लोग सहज ही बच्चो को भोजन कराने का पुण्य कार्य करना चाहें . जन्मदिन , बुजुर्गो की स्मृति में या अन्य अनेक शुभ अवसरो पर लोग भोज के आयोजन करते भी हैं , पर व्यक्तिगत रूप से किसी बच्चे को भोजन कराने की नियमित जबाबदारी उठाना कठिन है .यहीं "अक्षयपात्र" जैसी सामाजिक संस्था का महत्व स्थापित होता है . "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" जैसी अशासकीय , लाभ हानि से परे समाजसेवी संस्थाओ को दान देकर हम अपने दिये गये रुपयो के , उसी प्रयोजन हेतु सदुपयोग को सुनिश्चित कर सकते हैं .

बंगलोर की "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" आज प्रतिदिन 12,53,266 बच्चो को दोपहर में उनके स्कूल में भोजन की सुव्यवस्था हेतु राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो चुका है . वर्ष जून २००० से जब सरकार ने भी स्कूलों में दोपहर के भोजन की परियोजना प्रारंभ नही की थी तब से "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" यह योजना चला रहा है , बाद में सरकारी स्तर पर मिड डे मील कार्यक्रम के प्रारंभ होने पर सहयोगी के रूप में , बृहद स्तर पर "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" यह महान कार्य अनवरत रूप से कर रहा हैं . शैक्षणिक गतिविधियो से जुड़ी अन्य अनेक योजनायें जैसे विद्या अक्षय पात्र , अक्षय लाइफ स्किल , लीडरसिप डेवलेपमेंट आदि अनेक योजनायें भी यह संस्था चला रही है . दानदाताओ की सुविधा हेतु एस एम एस या मोबाइल पर सूचना की व्यवस्था की गई है , यदि चाहें तो सूचना मिलने पर दानदाता के घर से ही दान राशि एकत्रित करने हेतु संस्था के वालण्टियर पहुंच सकते हैं .संस्था का कार्य क्षेत्र देश के ८ राज्यो तक विस्तारित हो चुका है व निरंतर विकासशील है .

हमारा कर्तव्य है कि हम "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" जैसी संस्था से किसी न किसी रूप में अवश्य ही जुड़ें , दानदाता के रूप में , वालण्टियर के रूप में , प्रचारक के रूप में या लेखक के रूप में ... आइये हम भी अपना योगदान स्वयं ही निर्धारित करें , और बच्चो की भूख मिटाने के महायज्ञ में अपनी आहुती सुनिश्चित करें .आप इस लिंक पर अपना सहयोग दे सकते हैं .



http://www.akshayapatra.org/online-donations



अंत में यही प्रर्थना और संकल्प कि ...



रिक्त न हो ,भरा रहे ,सदा हमारा अक्षय पात्र

हर बच्चे का पेट भरे सदा हमारा अक्षय पात्र



जिस तरह द्रौपदी को सदा भोजन से परिपूरित , भरा रहने वाला अक्षयपात्र वरदान स्वरूप प्राप्त था , देश के जरूरतमंद बच्चो को भी "अक्षयपात्र फाउण्डेशन" के रूप में वही वरदान सुलभ हुआ है , ईश्वर से संस्था की निरंतर सफलता की कामना है .



अनुव्रता श्रीवास्तव

Saturday 4 December, 2010

विकीलीक्स भी सीआईए की सोची समझी कूटनीति न हो..????

आजकल तो ये शक होने लगा है कि जिस तरह से पूरी दुनिया में सब कुछ फिक्स और प्रायोजित होने लगा है, कहीं विकीलीक्स भी सीआईए की सोची समझी कूटनीति न हो.जो तथ्य अमरीका प्रत्यक्ष तौर पर नहीं बता पा रहा है वो अप्रत्यक्ष तौर पर बताने की कोशिश कर रहा हो? यदि मेरा यह अनुमान सच नही है तो सचमुच इंटरनेट अमरीका के गले की हड्डी सिद्व हो रहा है.




पत्रकार स्वतंत्र होता है.उससे यह उम्मीद ही बेकार है कि वह केवल लिखेगा भर. लिखने का मसाला जुटाने के लिए जब वह चार जगह उठता बैठता है तो कुछ उसके मित्र बनते हैं,कुछ दुश्मन.फिर आज के भौतिक युग में उसे भी धन की चाहत होती ही है,तो वह कुछ अतिरिक्त कर बैठता है और ऐसी कहानियाँ बन जाती हैं.



अंतरराष्ट्रीय खेलों की पदक तालिकाओ में भारतीय बालाओ की बढ़ती संख्या इस तथ्य को रेखाकिंत करती है कि स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में व्यापक बदलाव हुआ है. सच तो ये है कि खेल ही नहीं हर क्षेत्र में भारतीय नारियां पुरुषों की बराबरी से कर रहीं हैं.



जातिवाद के आधार पर इतनी बड़ी जीत संभव ही नही थी. बिहार को जब नितीश जी ने संभाला था तब जैसी सामाजिक स्थितियां थीं, अपहरण था गुण्डाराज था, देर रात की तो बात ही छोड़ें शाम से ही सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था, महिलाएं, ग़रीब असुरक्षित थे, सड़कों के हालात खराब थे. इन सबमें जो बुनियादी परिवर्तन विगत वर्षो में जनता ने देखे हैं, उसी के चलते नीतीश पुनः सत्ता में आये हैं.