म. प्र. साहित्य अकादमी के नवाचारी साहित्यिक प्रयास
विवेक रंजन श्रीवास्तव
संयोजक , पाठक मंच , जबलपुर
किस तरह कोई समर्पित व्यक्ति अपने नेतृत्व व नीति से किसी संस्था को नया स्वरूप दे सकता है यह श्री मनोज श्रीवास्तव प्रमुख सचिव संस्कृति म. प्र. एवं श्री उमेश कुमार सिंह निदेशक साहित्य अकादमी भोपाल के नेतृत्व ने सिद्ध कर दिखाया है . युवाओ को साहित्य से जोड़ने के लिये अकादमी प्रदेश में जगह जगह पहुंचकर क्षेत्रीय साहित्यकारो की जयंतियो के आयोजन करने के नवाचारी प्रयास कर रही है . अकादमी ने साहित्यिक कैलेण्डर बना कर वर्ष भर के साहित्यकारो की जयंतियो , पुण्य तिथियो व आयोजनो की ओर जन सामान्य का ध्यानाकर्षण किया . सोशलमीडिया का रचनात्मक उपयोग करते हुये व्हाट्सअप ग्रुप , फेसबुक पेज आदि नवीनतम इलेक्ट्रानिक संसाधनो के माध्यमो से अकादमी की गतिविधियो को विश्व व्यापी स्तर पर साहित्य प्रेमियो के बीच त्वरित रूप से पहुंचाने का अभिनव कार्य भी किया जा रहा है .
म. प्र. साहित्य अकादमी की प्रतिनिधि इकाई के रूप में व एक सृजनात्मक स्थानीय
संस्था के रूप में प्रदेश के विभिन्न अंचलो में साहित्य प्रेमियो के संयोजन में जगह जगह पाठक मंच सक्रिय हैं. अकादमी की पाठक मंच योजना देश में इस तरह की पहली अभिन्न योजना है . समकालीन , चर्चित व महत्वपूर्ण किताबो तथा महत्व पूर्ण पत्र पत्रिकाओ पर इन पाठक मंचो में चर्चा के माध्यम से पाठको तथा लेखको को वैचारिक अभिव्यक्ति का सुअवसर सुलभ होता है . पाठक मंच संयोजको का एक वार्षिक सम्मेलन भी आयोजित किया जाता है .
पहली बार साहित्यिक पत्रिकाओ के संपादको का वैचारिक सम्मेलन भोपाल में जनवरी २०१८ के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जा रहा है . इससे पहले साहित्यिक संस्थाओ के पदाधिकारियो का राज्यस्तरीय सम्मेलन भी भोपाल में आयोजित किया गया जो अपनी तरह का पहला आयोजन था जिसमें विभिन्न क्षेत्रो की साहित्यिक संस्थाओ के प्रतिनिधियो ने परस्पर वैचारिक विमर्श किया .
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संवाद के आयोजन भी प्रति वर्ष हो रहे हैं .
वर्तमान युग इलेक्ट्रानिक संसाधनो से भरा हुआ है , ऐसे समय में पठनीयता
का स्वाभाविक अभाव है . किन्तु अकादमी की पत्रिका साक्षात्कार जिस तरह ठीक समय पर पाठको तक नियमित रूप से पहुंच रही है , व राष्ट्र की वैचारिक साहित्यिक सांस्कृतिक अस्मिता का परिदृश्य निर्मित कर रही है उससे नव लेखन को सकारात्मक दिशा मिली है . अकादमी की टीम इन नवाचारी प्रयोगो से साहित्य जगत में चेतना जगाने के लिये बधाई की पात्र है .
पाठक मंच जबलपुर में कौशल किशोर की पुस्तक महर्षि अरविन्द घोष पर व्यापक चर्चा ......
विगत दिवस जबलपुर पाठक मंच ने सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित किताब "महर्षि अरविन्द घोष" पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन पुस्तकालय में किया गया . किताब के परिप्रेक्ष्य में बोलते हुये वरिष्ठ कवि व अनुवादक प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध ने इसे महर्षि जी के विषय में केवल परिचयात्मक छोटी किताब बताया . उन्होने कहा कि पुस्तक में महर्षि के जीवन के सागर को गागर में भरने का प्रयास किया गया है इसलिये अनेक महत्वपूर्ण घटनाओ को स्पर्श मात्र करते हुये लेखक निकल गया है . महर्षि के प्रारंभिक जीवन , इंग्लैंड में व्यतीत उनका समय , बडौदा में उनके कार्य , बंगाल में किया गया राष्ट्रवादी योगदान , पांडीचेरी , मीरा रिचर्ड का साथ , आदि बिंदुओ पर लेखक ने थोड़ी थोड़ी बातें रखी है . युवाओ में महरंषि के प्रति कौतुहल जगाने का काम पुस्तक कर सकती है .
विवेक रंजन श्रीवास्तव
संयोजक , पाठक मंच , जबलपुर
किस तरह कोई समर्पित व्यक्ति अपने नेतृत्व व नीति से किसी संस्था को नया स्वरूप दे सकता है यह श्री मनोज श्रीवास्तव प्रमुख सचिव संस्कृति म. प्र. एवं श्री उमेश कुमार सिंह निदेशक साहित्य अकादमी भोपाल के नेतृत्व ने सिद्ध कर दिखाया है . युवाओ को साहित्य से जोड़ने के लिये अकादमी प्रदेश में जगह जगह पहुंचकर क्षेत्रीय साहित्यकारो की जयंतियो के आयोजन करने के नवाचारी प्रयास कर रही है . अकादमी ने साहित्यिक कैलेण्डर बना कर वर्ष भर के साहित्यकारो की जयंतियो , पुण्य तिथियो व आयोजनो की ओर जन सामान्य का ध्यानाकर्षण किया . सोशलमीडिया का रचनात्मक उपयोग करते हुये व्हाट्सअप ग्रुप , फेसबुक पेज आदि नवीनतम इलेक्ट्रानिक संसाधनो के माध्यमो से अकादमी की गतिविधियो को विश्व व्यापी स्तर पर साहित्य प्रेमियो के बीच त्वरित रूप से पहुंचाने का अभिनव कार्य भी किया जा रहा है .
म. प्र. साहित्य अकादमी की प्रतिनिधि इकाई के रूप में व एक सृजनात्मक स्थानीय
संस्था के रूप में प्रदेश के विभिन्न अंचलो में साहित्य प्रेमियो के संयोजन में जगह जगह पाठक मंच सक्रिय हैं. अकादमी की पाठक मंच योजना देश में इस तरह की पहली अभिन्न योजना है . समकालीन , चर्चित व महत्वपूर्ण किताबो तथा महत्व पूर्ण पत्र पत्रिकाओ पर इन पाठक मंचो में चर्चा के माध्यम से पाठको तथा लेखको को वैचारिक अभिव्यक्ति का सुअवसर सुलभ होता है . पाठक मंच संयोजको का एक वार्षिक सम्मेलन भी आयोजित किया जाता है .
पहली बार साहित्यिक पत्रिकाओ के संपादको का वैचारिक सम्मेलन भोपाल में जनवरी २०१८ के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जा रहा है . इससे पहले साहित्यिक संस्थाओ के पदाधिकारियो का राज्यस्तरीय सम्मेलन भी भोपाल में आयोजित किया गया जो अपनी तरह का पहला आयोजन था जिसमें विभिन्न क्षेत्रो की साहित्यिक संस्थाओ के प्रतिनिधियो ने परस्पर वैचारिक विमर्श किया .
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संवाद के आयोजन भी प्रति वर्ष हो रहे हैं .
वर्तमान युग इलेक्ट्रानिक संसाधनो से भरा हुआ है , ऐसे समय में पठनीयता
का स्वाभाविक अभाव है . किन्तु अकादमी की पत्रिका साक्षात्कार जिस तरह ठीक समय पर पाठको तक नियमित रूप से पहुंच रही है , व राष्ट्र की वैचारिक साहित्यिक सांस्कृतिक अस्मिता का परिदृश्य निर्मित कर रही है उससे नव लेखन को सकारात्मक दिशा मिली है . अकादमी की टीम इन नवाचारी प्रयोगो से साहित्य जगत में चेतना जगाने के लिये बधाई की पात्र है .
पाठक मंच जबलपुर में कौशल किशोर की पुस्तक महर्षि अरविन्द घोष पर व्यापक चर्चा ......
विगत दिवस जबलपुर पाठक मंच ने सत्साहित्य प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित किताब "महर्षि अरविन्द घोष" पर चर्चा गोष्ठी का आयोजन पुस्तकालय में किया गया . किताब के परिप्रेक्ष्य में बोलते हुये वरिष्ठ कवि व अनुवादक प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध ने इसे महर्षि जी के विषय में केवल परिचयात्मक छोटी किताब बताया . उन्होने कहा कि पुस्तक में महर्षि के जीवन के सागर को गागर में भरने का प्रयास किया गया है इसलिये अनेक महत्वपूर्ण घटनाओ को स्पर्श मात्र करते हुये लेखक निकल गया है . महर्षि के प्रारंभिक जीवन , इंग्लैंड में व्यतीत उनका समय , बडौदा में उनके कार्य , बंगाल में किया गया राष्ट्रवादी योगदान , पांडीचेरी , मीरा रिचर्ड का साथ , आदि बिंदुओ पर लेखक ने थोड़ी थोड़ी बातें रखी है . युवाओ में महरंषि के प्रति कौतुहल जगाने का काम पुस्तक कर सकती है .
फोटो संलग्न------ मनोज श्रीवास्तव एवं श्री उमेश सिंह व पुस्तक महर्षि अरविंद घोष
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तुम जरा चुपचाप रहना।
.......जयप्रकाश श्रीवास्तव
सुनते हैं
दीवारों के भी कान हैं
तुम जरा चुपचाप रहना।
कह न देना
भूलकर भी
क्षणिक से सुख की कथा
मत सुनाना
चाहकर भी
अपने इस मन की व्यथा
हमको तो
दुख का मिला वरदान है
सुखों की पदचाप सुनना।
पीढ़ियों से
ढो रहे हैं
विरासत मजदूर वाली
झूठ लगती
है सचाई
बदलती तकदीर वाली
हर तरफ
फैला हुआ श्मशान है
मना है संताप करना।
प्रति-बंधित
हो गई हैं
सब की सब आलोचनाएं
जी रही हैं
प्रकंपित हो
मौन बहरी कामनाएं
रास्तों पर
उनका ही गुणगान है
व्यर्थ पश्चाताप करना।
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तुम जरा चुपचाप रहना।
.......जयप्रकाश श्रीवास्तव
सुनते हैं
दीवारों के भी कान हैं
तुम जरा चुपचाप रहना।
कह न देना
भूलकर भी
क्षणिक से सुख की कथा
मत सुनाना
चाहकर भी
अपने इस मन की व्यथा
हमको तो
दुख का मिला वरदान है
सुखों की पदचाप सुनना।
पीढ़ियों से
ढो रहे हैं
विरासत मजदूर वाली
झूठ लगती
है सचाई
बदलती तकदीर वाली
हर तरफ
फैला हुआ श्मशान है
मना है संताप करना।
प्रति-बंधित
हो गई हैं
सब की सब आलोचनाएं
जी रही हैं
प्रकंपित हो
मौन बहरी कामनाएं
रास्तों पर
उनका ही गुणगान है
व्यर्थ पश्चाताप करना।
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