कट्टरता के काले पंजे
विवेक रंजन श्रीवास्तव
कठपुतली की तरह नचाते हैं
अवाम को
कट्टरता के काले पंजे
छीन कर ताकत
सोचने समझने की
डाल देते हैं
दिमाग पर काले पर्दे
कट्टरता के काले पंजे
ओढ़ा देते हैं बुर्के औरतों को,
कैदखाना बना देते हैं
घर घर को
अदृश्य काले पंजे
मनमानी व्याख्या कर लेते हैं
पवित्र किताबों की
जिंदगी को
जहन्नुम बना देते हैं
फासिस्ट क्रूर काले पंजे
बंदूक की नोक
बम और बारूद
अमानवीय नृशंसता
तो महज दिखते हैं
दरअसल कठमुल्ले विचार
हैं काले पंजे
हिटलर के गोरे शरीर में
छिपे थे ऐसे ही काले पंजे
तालिबानी ताकत हैं
ये ही काले पंजे
सावधान
रखना है दिल दिमाग
हमें कभी कठपुतली
न बना सकें
कोई काले या सफेद
दृश्य या अदृश्य
प्रत्यक्ष या परोक्ष
फासिस्ट काले या गोरे पंजे
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