Thursday 29 March, 2012

कुछ भी कहो बाइक वाले लड़के होते स्मार्ट हैं !!

हाय ! कुछ भी कहो बाइक वाले लड़के होते स्मार्ट हैं !!
विवेक रंजन श्रीवास्तव
९४२५८०६२५२
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , जबलपुर
बात उन दिनो की है जब मैं भोपाल में एमएसीटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था ,कालेज की उम्र का तकाजा था कि लड़कियो के कमेंट भीड़ में भी बहुत साफ सुनाई पड़ते थे . एमएसीटी की पहाड़ी से नीचे उतरकर हम प्रायः शाम को न्यूमार्केट में टाइमपास करते थे . मुझे आज भी वह आवाज और वह सुंदर चेहरा याद है , मैं अपने मित्र के साथ बाइक पर तेज रफ्तार से निकला , लड़कियो का एक ग्रुप भी पैदल जा रहा था , पीछे से एक लड़की की आवाज आई ..".हाय ! कुछ भी कहो बाइक वाले लड़के होते स्मार्ट हैं !!" मैने पलट कर देखा वे हमारे ही विषय में बातें कर रही थी , और एक सुंदर लड़की का कमेंट था यह .
दूसरी घटना अभी २५ बरस बाद की है . सनडे का दिन था , हम मजे में लंच ले कर उठे ही थे कि मोबाइल बजा . रिलांयस वर्ल्ड एक्जाम सेंटर से फोन था , मेरे बेटे का कम्प्यूटर ओलमंपियाड का एक्जाम था , हमें बिल्कुल याद नही थी . एक्जाम सेंटर से फोन आया कि रिपोर्टिंग टाइम हो चुका है ! अभी तक मेरा बेटा "अमिताभ" वहाँ पहुंचा क्यो नही है ? हम शाक्ड थे ! मैंने तुरंत बाईक निकाली , बेटा जैसे कपड़ो में था उसे वैसे ही बैठाकर निकल पड़ा , सिग्नल की परवाह नही , बेटे को ढ़ाड़स भी बधाता जा रहा था , आंखे सड़क पर २०० मीटर आगे देख रही थी ...शायद मैने अब तक की सबसे तेज ड्राइविंग की उस दिन , कालेज वाले दिनो से भी तेज ! लगभग ५ मिनट बाद ही हम , घर से कोई ५ किमी दूर एक्जाम सेंटर पर थे , जो बीच बाजार , जबलपुर की माडल रोड पर है . बेटा परीक्षा में भीतर गया , तो रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कराते हुये उससे कहा "बाइक वाले लड़के होते स्मार्ट हैं !!" ..मुझे एकदम से अपने कालेज के दिनो वाली घटना याद हो आयी .
बाद में जब रिजल्ट आया तो बेटे ने उस ओलंपियाड में प्रदेश में टाप भी किया .

Friday 23 March, 2012

समय ही इनके प्रयासो का मूल्यांकन करेगा

हिन्दी ब्लागिंग के विगत वर्ष ....

पारिवारिक साहित्यिक संस्कारो के चलते लिखना छपना तो स्कूल के दिनो से ही प्रारंभ हो गया था , २००५ में हिन्दी ब्लागिंग प्रारंभ कीhttp://vivekkenamaskar.blogspot.in/ और दुनिया से सीधे जुड़ गया . मजा आता था ,न ही संपादक जी की कैंची चल पाती थी, न तो छपने के लिये इंतजार करना होता था , और संपादक के खेद सहित वापसी के लिफाफे का तो डर ही नही था .

ब्लाग विथ ए मिशन http://nomorepowertheft.blogspot.com/ भी चल रहा है .
ब्लाग एग्रीगेटर , ब्लागवाणी , नारद जी के सौजन्य से घण्टे दो घण्टो में ढ़ेर सी प्रतिक्रियायें भी आ जाती थीं .

फिर मैने वेब दुनिया पर भी ब्लागिंग की http://duniyagolhai.mywebdunia.com/

. ग्रुप ब्लागो में भी लिखा , कई कई जगह http://bhadas.blogspot.in/
.
मित्रो के साथ मिलकर दिव्य नर्मदा http://divyanarmada.blogspot.in/जैसी साहित्यिक पत्रिका भी ब्लाग पर बना डाली .

पर इन दिनो जो मजा जागरण जंक्शन पर आ रहा है वह नयापन लिये हुये है . कमी बस इतनी है कि अब तक ब्लाग लेखन पर पारिश्रमिक की कोई व्यवस्था नही है , मतलब जो घर बेचे आपनो चले हमारे साथ ....
हमारे जैसे सैकड़ो धुनी इस हिन्दी सेवा में लगे ही हैं . समय ही इनके प्रयासो का मूल्यांकन करेगा .