Tuesday 10 December, 2013

केवल पक्ष या विपक्ष नही मुद्दो पर वैचारिक एकता ..लोकतंत्र की जरूरत

केवल पक्ष या  विपक्ष नही मुद्दो पर वैचारिक एकता ..लोकतंत्र की जरूरत

विवेक रंजन  श्रीवास्तव ‘विनम्र
ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर (मप्र)  मो. 9425806252

        दिल्ली में आये वर्तमान जनादेश तथा ऐसे ही पिछले अनेक खण्डित चुनाव परिणामो से वर्तमान संवैधानिक प्रावधानो में संशोधन की जरूरत लगती है .  सरकार बनाने के लिये बड़ी पार्टी के मुखिया को नही वरन चुने गये सारे प्रतिनिधियो के द्वारा उनमें आपस में चुने गये मुखिया को बुलाया जाना चाहिये . आखिर हर पार्टी के चुने गये प्रतिनिधि  भले ही उनके क्षेत्र  के वोटरों के बहुमत से चुने जाते हैं किन्तु हारे हुये प्रतिनिधि को भी तो जनता के ही वोट मिलते हैं , और इस तरह वोट प्रतिशत की दृष्टि से हर पार्टी की सरकार में भागीदारी उचित लगती है .
                कोई भी सभ्य समाज नियमों से ही चल सकता है। जनहितकारी नियमों को बनाने और उनके परिपालन को सुनिश्चित करने के लिए शासन की आवश्यकता होती है। राजतंत्र, तानाशाही, धार्मिक सत्ता या लोकतंत्र, नामांकित जनप्रतिनिधियों जैसी विभिन्न शासन प्रणालियों में लोकतंत्र ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि लोकतंत्र में आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित होती है एवं उसे भी जन नेतृत्व करने का अधिकार होता है। भारत में हमने लिखित संविधान अपनाया है। शासन तंत्र को विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के उपखंडो में विभाजित कर एक सुदृढ लोकतंत्र की परिकल्पना की है। विधायिका लोकहितकारी नियमों को कानून का रूप देती है। कार्यपालिका उसका अनुपालन कराती है एवं कानून उल्लंघन करने  पर न्यायपालिका द्वारा दंड का प्रावधान है। विधायिका के जनप्रतिनिधियों का चुनाव आम नागरिको के सीधे मतदान के द्वारा किया जाता है किंतु हमारे देश में आजादी के बाद के अनुभव के आधार पर , मेरे मत में इस चुनाव के लिए पार्टीवाद तथा चुनावी जीत के बाद संसद एवं विधानसभाओं में पक्ष विपक्ष की राजनीति ही लोकतंत्र की सबसे बडी कमजोरी के रूप में सामने आई है।
                सत्तापक्ष कितना भी अच्छा बजट बनाये या कोई अच्छे से अच्छा जनहितकारी कानून बनाये विपक्ष उसका विरोध करता ही है। उसे जनविरोधी निरूपित करने के लिए तर्क कुतर्क करने में जरा भी पीछे नहीं रहता। ऐसा केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि वह विपक्ष में है। हमने देखा है कि वही विपक्षी दल जो विरोधी पार्टी के रूप में जिन बातो का सार्वजनिक विरोध करते नहीं थकता था , जब सत्ता में आया तो उन्होनें भी वही सब किया और इस बार पूर्व के सत्ताधारी दलो ने उन्हीं तथ्यों का पुरजोर विरोध किया जिनके कभी वे खुले समर्थन में थे। इसके लिये लच्छेदार शब्दो का मायाजाल फैलाया जाता है। ऐसा बार-बार लगातार हो रहा है। अर्थात हमारे लोकतंत्र में यह धारणा बन चुकी है कि विपक्षी दल को सत्ता पक्ष का विरोध करना ही चाहिये . शायद इसके लिये स्कूलो से ही ,  वादविवाद प्रतियोगिता की जो अवधारणा बच्चो के मन में अधिरोपित की जाती है वही जिम्मेदार हो .  वास्तविकता यह होती है कि कोई भी सत्तारूढ दल सब कुछ सही या सब कुछ गलत नहीं करता । सच्चा  लोकतंत्र तो यह होता कि मुद्दे के आधार पर पार्टी निरपेक्ष वोटिंग होती, विषय की गुणवत्ता के आधार पर बहुमत से निर्णय लिया जाता , पर ऐसा हो नही रहा है .
               अन्ना हजारे या बाबा रामदेव किसी पार्टी या किसी लोकतांत्रिक संस्था के निर्वाचित जनप्रतिनिधी नहीं है किंतु इन जैसे तटस्थ मनिषियों को जनहित एवं राष्ट्रहित के मुद्दो पर अनशन तथा भूख हडताल जैसे आंदोलन करने पड रहे है एवं समूचा शासनतंत्र तथा गुप्तचर संस्थायें इन आंदोलनों को असफल बनाने में सक्रिय है। यह लोकतंत्र की बहुत बडी विफलता है। अन्ना हजारे या बाबा रामदेव को तो देश व्यापी जनसमर्थन भी मिल रहा है । मेरा मानना  यह है कि आदर्श लोकतंत्र तो यह होता कि मेरे जैसा कोई साधारण एक व्यक्ति भी यदि देशहित का एक सुविचार रखता तो उसे सत्ता एवं विपक्ष का खुला समर्थन मिल सकता .
                इन अनुभवो से यह स्पष्ट होता है कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में सुधार की व्यापक संभावना है .  दलगत राजनैतिक धु्व्रीकरण एवं पक्ष विपक्ष से उपर उठकर मुद्दों पर आम सहमति या बहुमत पर आधारित निर्णय ही विधायिका के निर्णय हो ऐसी सत्ताप्रणाली के विकास की जरूरत है . इसके लिए जनशिक्षा को बढावा देना तथा आम आदमी की राजनैतिक उदासीनता को तोडने की आवश्यकता दिखती है। जब ऐसी व्यवस्था लागू होगी तब किसी मुद्दे पर कोई 51 प्रतिशत या अधिक जनप्रतिनिधि एक साथ होगें तथा किसी अन्य मुद्दे पर कोई अन्य दूसरे 51 प्रतिशत से ज्यादा जनप्रतिनिधि , जिनमें से कुछ पिछले मुद्दे पर भले ही विरोधी रहे हो साथ होगें तथा दोनों ही मुद्दे बहुमत के कारण प्रभावी रूप से कानून बनेगें.
        क्या हम निहित स्वार्थो से उपर उठकर ऐसी आदर्श व्यवस्था की दिशा में बढ सकते है एवं संविधान में इस तरह के संशोधन कर सकते है. यह खुली बहस का एवं व्यापक जनचर्चा का विषय है जिस पर अखबारो , स्कूल, कालेज, बार एसोसियेशन, व्यापारिक संघ, महिला मोर्चे, मजदूर संगठन आदि विभिन्न विभिन्न मंचो पर खुलकर बाते होने की जरूरत हैं , जिससे इस तरह के जनमत के परिणामो पर पुनर्चुनाव की अपेक्षा मुद्दो पर आधारित रचनात्मक सरकारें बन सकें जिनमें निर्दलीय जन प्रतिनिधियो की कथित खरीद फरोख्त घोड़ो की तरह न हो बल्कि वे मुद्दो पर अपनी सहमति के आधार पर सरकार का सकारात्मक हिस्सा बन सकें .


(लेखक को विभिन्न सामाजिक विषयों पर लेखन के लिए राष्ट्रीय स्तर के अनेक पुरस्कार मिल चुके है)

Sunday 8 December, 2013

समाचार

वर्तिका के राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित

वर्तिका , जबलपुर की सक्रिय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था है . २२ दिसम्बर १३ को संस्था २९ वें स्थापना दिवस समारोह का आयोजन रानीदुर्गावती संग्रहालय के सभागार भंवरताल जबलपुर में  कर रही है . इस अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्तर पर पुरस्कार दिये जाने हेतु नामांकन आमंत्रित किये गये थे . एक उच्चस्तरीय चयन समिति ने वरिष्ठ साहित्यकार तथा साहित्य मनीषि प्रो चित्रभूषण श्रीवास्तव विदग्ध की अध्यक्षता में निर्णय लेकर इस वर्ष के पुरस्कारो की घोषणा कर दी है .
स्वर्ग विभा वेबसाइट की संस्थापिका डा तारा सिंग मुम्बई को इस वर्ष का साज जबलपुरी लाइफटाइम वर्तिका अवार्ड दये जाने की घोषणा की गई है . साहित्य अकादमी के निदेशक डा त्रिभुवन नाथ शुक्ल भोपाल को रामेश्वर शुक्ल अंचल अलंकरण ,  श्री संजीव सलिल जबलपुर को कामता प्रसाद गुरू अलंकरण  के अतिरिक्त दिल्ली के श्री जाली अंकल , हैदराबाद के ब्लागर व कवि श्री विजय सपट्टी , नोयडा की सुश्री सखी सिह , भोपाल के श्री अनवर इस्लाम , जबलपुर के श्री कुंवर प्रेमिल एवं श्रीमती लक्ष्मी शर्मा को सम्मानित किया जावेगा . इसके अतिरिक्त वर्तिका की श्रीमती सुनीता मिश्रा  को श्रीमती दयावती श्रीवास्तव शिक्षा वर्तिका अलंकरण तथा दीपक तिवारी को वर्तिका सम्मान प्रदान किया जावेगा .
वर्तिका ने अभिनव पहल करते हुये सक्रिय साहित्यिक संस्थाओ को भी सम्मानित करने का निर्णय लिया है और इस वर्ष यह सम्मान गुंजन कला सदन के संस्थापक श्री ओंकार श्रीवास्तव को दिये जाने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया है .
वर्तमान परिदृश्य में साहित्यकारो की भूमिका विषय पर होगी संगोष्ठी
अलंकरण  समारोह रविवार २२ दिसम्बर २०१३ को संध्या ६ बजे से आयोजित किया जा रहा है . समारोह के मुख्य अतिथि श्री मनु श्रीवास्तव आई ए एस अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक पावर मैनेजमेंट होंगे . कार्यक्रम की अध्यक्षता हेतु कालिदास अकादमी के पूर्व निदेशक डा कृष्णकांत चतुर्वेदी तथा  विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती प्रज्ञा ॠचा श्रीवास्तव आई पी एस , आई जी ने सहमति प्रदान की है .
समारोह के पहले चरण में दोपहर १ बजे से वर्तमान परिदृश्य में साहित्यकारो की भूमिका विषय पर  संगोष्ठी होगी जिसकी अध्यक्षता प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध करेंगे तथा मुख्य वक्ता के रूप में श्री राजेन्द्र चंद्रकांत राय व्यक्तव्य देंगे. विवेक रंजन श्रीवास्तव , अध्यक्ष , वर्तिका , ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ४८२००८ को संगोष्ठी में वाचन हेतु आलेख भेजे जा सकते हैं .

Wednesday 13 November, 2013

वर्तिका के वार्षिकोत्सव में लाइफटाईम एचीवमेंट अवार्ड तथा संस्थाओ को पुरस्कार हेतु नामांकन आमंत्रित

समाचार

वर्तिका के वार्षिकोत्सव में लाइफटाईम एचीवमेंट अवार्ड तथा संस्थाओ को पुरस्कार हेतु नामांकन आमंत्रित

वर्तिका , जबलपुर की सक्रिय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्था है . २२ दिसम्बर १३ को संस्था वार्षिकोत्सव आयोजित कर रही है . इस अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु लाइफटाईम एचीवमेंट अवार्ड दिये जाना प्रस्तावित है . इस हेतु साहित्य प्रेमियो से प्रकाशित किताबो या अन्य साक्ष्य सहित नामांकन आमंत्रित हैं . नामांकन हेतु कोई शुल्क नहीं है . नामांकन स्वयं या कोई भी साहित्य प्रेमी कर सकता है .नामांकन की अंतिम तिथि ७ दिसम्बर २०१३ तक है . नामांकन सादे कागज पर स्वयं का तथा नामांकित व्यक्ति या संस्था का पूर्ण विवरण लिखते हुये निम्न पते पर भेजें .
विवेक रंजन श्रीवास्तव , अध्यक्ष , वर्तिका , ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर जबलपुर ४८२००८ . ईमेल vivekranjan.vinamra@gmail.com .  जिन्हें अवार्ड हेतु चुना जावेगा उनसे किसी तरह का कोई भी शुल्क नही लिया जावेगा .
इसी तरह साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओ को भी पुरस्कृत करने की योजना है , जिसके लिये अलग से नामंकन आमंत्रित हैं . वर्तिका की एक उच्चस्तरीय चयन समिति प्राप्त नामांकनो तथा स्वप्रेरित व्यक्तियो व संस्थाओ के योगदान के आधार पर अवार्ड का निर्णय करेगी .  विश्वविद्यालयीन स्तर के सुयोग्य पेनल की चयन समिति बनाई गई है . जो दिसम्बर १३ के दूसरे सप्ताह के प्रारंभ में चयन की घोषणा करेगी .

Monday 14 October, 2013

१० से १२ जनवरी २०१४ को चेन्नई में तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

१० से १२ जनवरी २०१४ को चेन्नई में तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन किया जा रहा है . आयोजन में जीवनोपलब्धि सम्मान , कृतियो पर , राजभाषा व पत्रकारिता पर , शिक्षा विद सम्मान हिन्दी प्राध्यापक व शिक्षक सम्मान तथा प्रचारक पुरस्कार भि दिये जावेंगे .
विदेशो में हिन्दी का स्वरूप , नारी के प्रति पुरुषो का नजरिया , कामकाजी माताओ के बच्चो की समस्यायें जैसे विषयो पर वैचारिक सत्र होंगे .
कहानी पाठन तथा कवि सम्मेलन भी आयोजित किया जावेगा .

आयोजन हेतु हार्दिक शुभकामनायें . ...
संपर्क madhu.dhawan13@yahoo.com