कार पंचर हो तो ड्राइवर को इंडीकेशन मिले !!!!!!!
विवेक रंजन श्रीवास्तव
मो +९१९४२५८०६२५२
कार में बजता होता है तेज संगीत , चलता होता है ए.सी., बंद होती है कांच .. आप मस्त और व्यस्त होते हैं साथ बैठे लोगो से बातों में ....
तभी किसी टायर में होने लगती है हवा कम ... घुस गई होती है कोई कील .. टायर पंचर हो जाता है ..
पर इसका पता आपको तब लगता है जब कार लहराने को ही होती है .. ट्यूब और रिम ड्रम लड़ भिड़ चुके होते हैं , ट्यूब खराब हो जाता है ... ऐसा हुआ ही होगा आपके भी साथ कभी न कभी ...
यूं तो आजकल ट्यूबलैस टायर लग रहे हैं ...पर फिर भी लोअर सैगमेंट वाली कारो में तो पुराने तरह के ही टायर हैं न ..
मेरा आइडिया है कि टायर में सेंसर लगाये जायें जिससे हवा का प्रेशर कम होते ही ड्राइवर को सिगनल मिल जाये कि अब हवा भरवाई जानी चाहिये ....
aapke kimti vote ki darkar hai .... AUR ab to votig compulsory ho rahi hai Gujrat se shuruvat bhi hone ko hai , so... please vote for me
http://www.wagonrsmartideas.com/index.php?option=com_comprofiler&task=userProfile&user=1417
Saturday, 19 December, 2009
Sunday, 13 December, 2009
क्या मुझसे सहमत है आप ???
नवाचार का स्वागत ....
हम सब अपनी कार को करते हैं प्यार ..
कही लग जाये थोड़ी सी खरोंच तो हो जाते हैं उदास ..
मित्रो से , पड़ोसियों से , परिवार जनो से करते हैं कार को लेकर ढ़ेर सी बात ...
केवल लक्जरी नही है , अब जरूरत ... है कार
घर की दीवारो पर हम करवाते हैं मनपसंद रंग , , अब तो वालपेपर या प्रंटेड दीवारो का है फैशन ..
फिर क्यो? कार पर हो वही एक रंग का , रटा पिटा कंपनी का कलर , क्यों न हो हमारी कार युनिक??जिसे देखते ही झलके हमारी अपनी अभिव्यक्ति , विशिष्ट पहचान हो हमारी अपनी कार की ...
कार के भीतर भी ,
कार में बिताते हैं हम जाने कितना समय
रोज फार्म हाउस से शहर की ओर आना जाना , या घंटो सड़को के जाम में फंसे रहना ..
कार में बिताया हुआ समय प्रायः हमारा होता है सिर्फ हमारा
तब उठते हैं मन में विचार , पनपती है कविता
हम क्यों न रखे कार का इंटीरियर मन मुताबिक ,क्यों न उपयोग हो एक एक क्युबिक सेंटीमीटर भीतरी जगह का हमारी मनमर्जी से ..
क्यो कंपनी की एक ही स्टाइल की बेंच नुमा सीटें फिट हो हमारी कार में .. जो प्रायः खाली पड़ी रहे , और हम अकेले बोर होते हुये सिकुड़े से बैठे रहें ड्राइवर के डाइगोनल ..
क्या अच्छा हो कि हमारी कार के भीतर हमारी इच्छा के अनुरूप सोफा हो , राइटिंग टेबल हो , संगीत हो , टीवी हो , कम्प्यूटर हो ,कमर सीधी करने लायक व्यवस्था हो , चाय शाय हो , शेविंग का सामान हो , एक छोटी सी अलमारी हो , वार्डरोब हो कम से कम दो एक टाई , एक दो शर्ट हों ..ड्राइवर और हमारे बीच एक पर्दा हो ..
बहुत कुछ हो सकता है ....
बस जरूरत है एक कंपनी की जो कार बनाने वाली कंपनियो से कार का चैसिस खरीदे और फिर ले आपसे आर्डर , आपकी कार को कस्टमाइज करने का ...
यही तो है मेरा आइडिया , क्या मुझसे सहमत है आप ???
इस विचार को मैने जमा किया है www.wagonrsmartideas.com में
आपसे है गुजारिश कि कृपया http://www.wagonrsmartideas.com/index.php?option=com_comprofiler&task=userProfile&user=1417 पर क्लिक करके मुझे अपना अनमोल मत जरूर दें ....और करे नवाचार का स्वागत ....
आपका
विवेक रंजन श्रीवास्तव
हम सब अपनी कार को करते हैं प्यार ..
कही लग जाये थोड़ी सी खरोंच तो हो जाते हैं उदास ..
मित्रो से , पड़ोसियों से , परिवार जनो से करते हैं कार को लेकर ढ़ेर सी बात ...
केवल लक्जरी नही है , अब जरूरत ... है कार
घर की दीवारो पर हम करवाते हैं मनपसंद रंग , , अब तो वालपेपर या प्रंटेड दीवारो का है फैशन ..
फिर क्यो? कार पर हो वही एक रंग का , रटा पिटा कंपनी का कलर , क्यों न हो हमारी कार युनिक??जिसे देखते ही झलके हमारी अपनी अभिव्यक्ति , विशिष्ट पहचान हो हमारी अपनी कार की ...
कार के भीतर भी ,
कार में बिताते हैं हम जाने कितना समय
रोज फार्म हाउस से शहर की ओर आना जाना , या घंटो सड़को के जाम में फंसे रहना ..
कार में बिताया हुआ समय प्रायः हमारा होता है सिर्फ हमारा
तब उठते हैं मन में विचार , पनपती है कविता
हम क्यों न रखे कार का इंटीरियर मन मुताबिक ,क्यों न उपयोग हो एक एक क्युबिक सेंटीमीटर भीतरी जगह का हमारी मनमर्जी से ..
क्यो कंपनी की एक ही स्टाइल की बेंच नुमा सीटें फिट हो हमारी कार में .. जो प्रायः खाली पड़ी रहे , और हम अकेले बोर होते हुये सिकुड़े से बैठे रहें ड्राइवर के डाइगोनल ..
क्या अच्छा हो कि हमारी कार के भीतर हमारी इच्छा के अनुरूप सोफा हो , राइटिंग टेबल हो , संगीत हो , टीवी हो , कम्प्यूटर हो ,कमर सीधी करने लायक व्यवस्था हो , चाय शाय हो , शेविंग का सामान हो , एक छोटी सी अलमारी हो , वार्डरोब हो कम से कम दो एक टाई , एक दो शर्ट हों ..ड्राइवर और हमारे बीच एक पर्दा हो ..
बहुत कुछ हो सकता है ....
बस जरूरत है एक कंपनी की जो कार बनाने वाली कंपनियो से कार का चैसिस खरीदे और फिर ले आपसे आर्डर , आपकी कार को कस्टमाइज करने का ...
यही तो है मेरा आइडिया , क्या मुझसे सहमत है आप ???
इस विचार को मैने जमा किया है www.wagonrsmartideas.com में
आपसे है गुजारिश कि कृपया http://www.wagonrsmartideas.com/index.php?option=com_comprofiler&task=userProfile&user=1417 पर क्लिक करके मुझे अपना अनमोल मत जरूर दें ....और करे नवाचार का स्वागत ....
आपका
विवेक रंजन श्रीवास्तव
Thursday, 26 November, 2009
सड़क पर...ओवरटेकिंग और टर्निंग इंडीकेटर्स अलग अलग हों....!!!!
सड़क पर...ओवरटेकिंग और टर्निंग इंडीकेटर्स अलग अलग हों....!!!!
सड़क पर , लेफ्ट या राइट टर्न के लिये , या लेन परिवर्तन के लिये चार पहिये वाले वाहन में बैठा ड्राइवर जिस दिशा में उसे मुड़ना होता है , उस दिशा का पीला इंडीकेटर जला कर पीछे से आने वाले वाहन को अपने अगले कदम का सिग्नल देता है . स्टीयरिंग के साथ जुड़े हुये लीवर के उस दिशा में टर्न करने से से वाहन की बाडी में लगे अगले व पिछले उस दिशा के पीले इंडीकेटर ब्लिंकिंग करने लगते हैं , वाहन के वापस सीधे होते ही स्वयं ही स्टीयरिंग के नीचे लगा लीवर अपने स्थान पर वापस आ जाता है , व इंडीकेटर लाइट बंद हो जाती है . जब आगे चल रही गाड़ी का ड्राइवर दाहिने ओर से पीछे से आते हुये वाहन को ओवर टेक करने की अनुमति देता है तब भी वह इन्ही इंडीकेटर के जरिये पीछे वाली गाड़ी को संकेत देता है . इसी तरह डिवाइडर वाली सड़को पर , बाई ओर से पीछे से आ रहे वाहन को भी ओवरटेक करने की अनुमति इसी तरह वाहन के बाई ओर लगे इंडीकेटर जलाकर दी जाती है .
इस तरह पीछे से आ रहे वाहन के चालक को स्व विवेक से समझना पड़ता है कि इंडीकेटर ओवरटेक की अनुमति है या आगे चल रहे वाहन के मुड़ने का संकेत है , जिसे समझने में हुई छोटी सी गलती भी एक्सीडेंट का कारण बन जाती है .
मेरा सुझाव है कि यदि वाहन निर्माता ओवर टेकिंग हेतु हरे रंग की लाइट , साइड बाडी पर और लगाने लगें तो यह दुविधा की स्थिति समाप्त हो सके व पीछे चल रहा चालक स्पष्ट रूप से आगे के वाहन के संकेत को समझ सके ...
क्या मेरे इस सुझाव पर आर टी ओ व वाहन निर्माता ध्यान देंगे ....IDEA by .AMITABH SHRIVASTAVA
सड़क पर , लेफ्ट या राइट टर्न के लिये , या लेन परिवर्तन के लिये चार पहिये वाले वाहन में बैठा ड्राइवर जिस दिशा में उसे मुड़ना होता है , उस दिशा का पीला इंडीकेटर जला कर पीछे से आने वाले वाहन को अपने अगले कदम का सिग्नल देता है . स्टीयरिंग के साथ जुड़े हुये लीवर के उस दिशा में टर्न करने से से वाहन की बाडी में लगे अगले व पिछले उस दिशा के पीले इंडीकेटर ब्लिंकिंग करने लगते हैं , वाहन के वापस सीधे होते ही स्वयं ही स्टीयरिंग के नीचे लगा लीवर अपने स्थान पर वापस आ जाता है , व इंडीकेटर लाइट बंद हो जाती है . जब आगे चल रही गाड़ी का ड्राइवर दाहिने ओर से पीछे से आते हुये वाहन को ओवर टेक करने की अनुमति देता है तब भी वह इन्ही इंडीकेटर के जरिये पीछे वाली गाड़ी को संकेत देता है . इसी तरह डिवाइडर वाली सड़को पर , बाई ओर से पीछे से आ रहे वाहन को भी ओवरटेक करने की अनुमति इसी तरह वाहन के बाई ओर लगे इंडीकेटर जलाकर दी जाती है .
इस तरह पीछे से आ रहे वाहन के चालक को स्व विवेक से समझना पड़ता है कि इंडीकेटर ओवरटेक की अनुमति है या आगे चल रहे वाहन के मुड़ने का संकेत है , जिसे समझने में हुई छोटी सी गलती भी एक्सीडेंट का कारण बन जाती है .
मेरा सुझाव है कि यदि वाहन निर्माता ओवर टेकिंग हेतु हरे रंग की लाइट , साइड बाडी पर और लगाने लगें तो यह दुविधा की स्थिति समाप्त हो सके व पीछे चल रहा चालक स्पष्ट रूप से आगे के वाहन के संकेत को समझ सके ...
क्या मेरे इस सुझाव पर आर टी ओ व वाहन निर्माता ध्यान देंगे ....IDEA by .AMITABH SHRIVASTAVA
Wednesday, 14 October, 2009
सेठ गोविन्द दास की नगरी जबलपुर में नाटको की समृद्ध परंपरा ...
Wednesday, 9 September, 2009
बी बी सी ने प्रकाशित की विवेक रंजन श्रीवास्तव के कैमरे का काव्य ...लिंक है
बी बी सी ने प्रकाशित की विवेक रंजन श्रीवास्तव के कैमरे का काव्य ...लिंक है
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2009/09/090906_readers_gallery_pp.shtml
http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2009/09/090906_readers_gallery_pp.shtml
Friday, 28 August, 2009
इस विषय पर चर्चा होना चाहिये ????? तो क्या सोचते हैं आप ?
भीख मांगना यूं तो कानूनी अपराध है पर सरे आम स्वयं हाई कोर्ट के मार्ग पर भिखारियो की लम्बी कतारे देखी जा सकती है ..दान करना ..भीख देना कही न कही हमारी संस्कृति व पुरातन परंपरा से भी जुड़ा हुआ है ..लोक मनोविज्ञान भी इसके लिये जिम्मेदार है ...इसे पुण्य करना माना जाता है ... अपने पापो का प्रायश्चित भी ... मंदिरो के सामने ..दरगाहो के सामने जाने कितने ही भिखारियो की आजीविका चल रही है . इतनी बड़ी सामाजिक व्यवस्था को केवल एक कानून नही रोक सकता .. इस विषय पर चर्चा होना चाहिये ????? तो क्या सोचते हैं आप ?
Thursday, 13 August, 2009
लिमका बुक आफ रिकार्डस ने जबलपुर में आयोजित की एक इंटरस्कूल क्विज प्रतियोगिता ...बेटे अमिताभ श्रीवास्तव और सागर ने पहले चरण में लिखित परीक्षा प्रतियोगि
Tuesday, 4 August, 2009
दिनांक ०३ अगस्त २००९ को जयपुर राजस्थान में राष्ट्रीय कायस्थ महासभा ने सम्मानित किया ५ प्रबुद्ध साहित्य मनीषियों को
वतन को नमन के रचियता वरिष्ठ कवि प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" जबलपुर ,मण्डला से
सूतपुत्र खण्ड काव्य के रचियता श्री दयाराम गुप्त "पथिक" ब्यौहारी शहडोल से
मधुआला के कवि श्री वत्स आगरा से
पं. श्रीराम शर्मा जी के साहित्य पर शोध कार्य की प्रणेता सुश्री कविता रायजादा आगरा से
चाणक्य नीति के पद्यानुवादक श्री गौतम अहमदाबाद से
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" जबलपुर ,मण्डला से
चर्चा मग्न प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" जबलपुर व श्री दयाराम गुप्त "पथिक" ब्यौहारी
Friday, 31 July, 2009
जननी भारत माता
जननी भारत माता
अंशलाल पंद्रे
जननी भारत माता
......
तेरी जय जय
,तेरी जय जय
तेरी जय जय
,तेरी जय जय
रोज हैं खिलते गोद में तेरी
, फूल हजारों ऐसे
अकबर
, गांधी, भगत, जवाहर चांद सितारों जैसे
चांद सितारों जैसे
जननी भारत माता
......
चाहे धर्म कोई भी हो
,हैं सब भाई भाई
मां भारत की हैं संताने
, है सब में तरुणाई
है सब में तरुणाई
जननी भारत माता
......
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम की आभा है न्यारी
भिन्न भिन्न भाषा औ प्रांतो की शोभा है प्यारी
की शोभा है प्यारी
जननी भारत माता
.....
गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र और कावेरी का पानी
पी हम पानी वाले करते दुश्मन पानी पानी
दुश्मन पानी पानी
जननी भारत माता
......
अंशलाल पंद्रे
जननी भारत माता
......
तेरी जय जय
,तेरी जय जय
तेरी जय जय
,तेरी जय जय
रोज हैं खिलते गोद में तेरी
, फूल हजारों ऐसे
अकबर
, गांधी, भगत, जवाहर चांद सितारों जैसे
चांद सितारों जैसे
जननी भारत माता
......
चाहे धर्म कोई भी हो
,हैं सब भाई भाई
मां भारत की हैं संताने
, है सब में तरुणाई
है सब में तरुणाई
जननी भारत माता
......
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम की आभा है न्यारी
भिन्न भिन्न भाषा औ प्रांतो की शोभा है प्यारी
की शोभा है प्यारी
जननी भारत माता
.....
गंगा यमुना ब्रह्मपुत्र और कावेरी का पानी
पी हम पानी वाले करते दुश्मन पानी पानी
दुश्मन पानी पानी
जननी भारत माता
......
Saturday, 28 March, 2009
गोकुल तुम्हें बुला रहा हे कृष्ण कन्हैया ।
प्रो सी बी श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
गोकुल तुम्हें बुला रहा हे कृष्ण कन्हैया ।
वन वन भटक रही हैं ब्रजभूमि की गैया ।
दिन इतने बुरे आये कि चारा भी नही है
इनको भी तो देखो जरा हे धेनू चरैया ।।१।।
करती हे याद देवी माँ रोज तुम्हारी
यमुना का तट औ. गोपियाँ सारी ।
गई सुख धार यमुना कि उजडा है वृन्दावन
रोती तुम्हारी याद में नित यशोदा मैया ।।२।।
रहे गाँव वे , न लोग वे , न नेह भरे मन
बदले से है घर द्वार , सभी खेत , नदी , वन।
जहाँ दूध की नदियाँ थीं , वहाँ अब है वारूणी
देखो तो अपने देश को बंशी के बजैया ।।३।।
जनमन न रहा वैसा , न वैसा है आचरण
बदला सभी वातावरण , सारा रहन सहन ।
भारत तुम्हारे युग का न भारत है अब कहीं
हर ओर प्रदूषण की लहर आई कन्हैया ।।४।।
आकर के एक बार निहारो तो दशा को
बिगड़ी को बनाने की जरा नाथ दया हो ।
मन मे तो अभी भी तुम्हारे युग की ललक है
पर तेज विदेशी हवा मे बह रही नैया ।।५।।
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
गोकुल तुम्हें बुला रहा हे कृष्ण कन्हैया ।
वन वन भटक रही हैं ब्रजभूमि की गैया ।
दिन इतने बुरे आये कि चारा भी नही है
इनको भी तो देखो जरा हे धेनू चरैया ।।१।।
करती हे याद देवी माँ रोज तुम्हारी
यमुना का तट औ. गोपियाँ सारी ।
गई सुख धार यमुना कि उजडा है वृन्दावन
रोती तुम्हारी याद में नित यशोदा मैया ।।२।।
रहे गाँव वे , न लोग वे , न नेह भरे मन
बदले से है घर द्वार , सभी खेत , नदी , वन।
जहाँ दूध की नदियाँ थीं , वहाँ अब है वारूणी
देखो तो अपने देश को बंशी के बजैया ।।३।।
जनमन न रहा वैसा , न वैसा है आचरण
बदला सभी वातावरण , सारा रहन सहन ।
भारत तुम्हारे युग का न भारत है अब कहीं
हर ओर प्रदूषण की लहर आई कन्हैया ।।४।।
आकर के एक बार निहारो तो दशा को
बिगड़ी को बनाने की जरा नाथ दया हो ।
मन मे तो अभी भी तुम्हारे युग की ललक है
पर तेज विदेशी हवा मे बह रही नैया ।।५।।
आये हैं इस संसार में दिनचार के लिए
आये हैं इस संसार में दिनचार के लिए
प्रो सी बी श्रीवास्तव
o b 11विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
सब जी रहे हैं जिन्दगी पीरवार के लिए
पर मन में भारी प्यास लिए प्यार के लिए ।
सुख दिखता तो जरूर है पर िमलता नही है
शायद मिले जो हम जिये संसार के लिए।।1।।
हर दिन यहॉ हर एक की नई भाग दौड है
औरो से अधिक पाने की मन मे होड है।
सुख से सही उसका नही कोई है वास्ता
सारी यह आपाधापी है अधिकार के लिए।।2।।
अधिकार ने सबको सदा पर क्षोभ दिया है
जिसको मिला उसको यहॉ बेचैन किया है।
अिधेकार और धन से कभी भी भर न सका मन
रहा हट नई चाहत व्यापार के लिए ।।3।।
भरमाया सदा मोह ने माया ने फंसाया
खुद के सिवा कोई कभी कुछ काम न आया
रातें रही हों चॉदनी या घोर अंधरी
व्याकुल रहा है घर के ही विस्तार के लिए।।4।।
सचमुच यहॉ पर आदमी गुमराह बहुत है
कर पाता है थोडा सा ही करने को बहुत हैं ।
हम जो भी करे नाथ ! हमें इतना ध्यान हो
आये हैं इस संसार में दिन चार के लिए।।5।।
हमें दीजिए भगवान वह सामथ्र्य और ज्ञान
रहे शुध्द जिससे भावना साित्वक रहे विधान
कुछ ऐसा बने हमसे जो हो जग मे काम का
प्रो सी बी श्रीवास्तव
o b 11विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
सब जी रहे हैं जिन्दगी पीरवार के लिए
पर मन में भारी प्यास लिए प्यार के लिए ।
सुख दिखता तो जरूर है पर िमलता नही है
शायद मिले जो हम जिये संसार के लिए।।1।।
हर दिन यहॉ हर एक की नई भाग दौड है
औरो से अधिक पाने की मन मे होड है।
सुख से सही उसका नही कोई है वास्ता
सारी यह आपाधापी है अधिकार के लिए।।2।।
अधिकार ने सबको सदा पर क्षोभ दिया है
जिसको मिला उसको यहॉ बेचैन किया है।
अिधेकार और धन से कभी भी भर न सका मन
रहा हट नई चाहत व्यापार के लिए ।।3।।
भरमाया सदा मोह ने माया ने फंसाया
खुद के सिवा कोई कभी कुछ काम न आया
रातें रही हों चॉदनी या घोर अंधरी
व्याकुल रहा है घर के ही विस्तार के लिए।।4।।
सचमुच यहॉ पर आदमी गुमराह बहुत है
कर पाता है थोडा सा ही करने को बहुत हैं ।
हम जो भी करे नाथ ! हमें इतना ध्यान हो
आये हैं इस संसार में दिन चार के लिए।।5।।
हमें दीजिए भगवान वह सामथ्र्य और ज्ञान
रहे शुध्द जिससे भावना साित्वक रहे विधान
कुछ ऐसा बने हमसे जो हो जग मे काम का
जब अंधेरा हो घना घटायें घिरें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक,दूर तक उजाला करें
हो जहाँ भी, या कि जिस राह पर
पथिक को राह दिखला सहारा करें
जब अंधेरा हो घना घटायें घिरें
राह सूझे न मन में बढ़ें उलझने
देख सूनी डगर, डर लगे तन कंपे
तय न कर पाये मन क्या करें न करें
तब दे आशा जगा आत्म विश्वास फिर
उसके चरणो की गति को संवांरा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
हर घड़ी बढ़ रही हैं समस्यायें नई
अचानक बेवजह आज संसार में
हो समस्या खड़ी कब यहाँ कोई बड़ी
समझना है कठिन बड़ा व्यवहार में
दीप ऐसे हो जो दें सतत रोशनी
पथिक की भूल कोई न गवारा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
रास्ते तो बहुत से नये बन गये
पर बड़े टेढ़े मेढ़े हैं, सीधे नहीं
मंजिलों तक पहुंचने में हैं मुश्किलें
होती हारें भी हैं, सदा जीतें नहीँ
जूझते खुद अंधेरों से भी रात में
पथ दिखायें जो न हिम्मत हारा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
कि जो देर तक,दूर तक उजाला करें
हो जहाँ भी, या कि जिस राह पर
पथिक को राह दिखला सहारा करें
जब अंधेरा हो घना घटायें घिरें
राह सूझे न मन में बढ़ें उलझने
देख सूनी डगर, डर लगे तन कंपे
तय न कर पाये मन क्या करें न करें
तब दे आशा जगा आत्म विश्वास फिर
उसके चरणो की गति को संवांरा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
हर घड़ी बढ़ रही हैं समस्यायें नई
अचानक बेवजह आज संसार में
हो समस्या खड़ी कब यहाँ कोई बड़ी
समझना है कठिन बड़ा व्यवहार में
दीप ऐसे हो जो दें सतत रोशनी
पथिक की भूल कोई न गवारा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
रास्ते तो बहुत से नये बन गये
पर बड़े टेढ़े मेढ़े हैं, सीधे नहीं
मंजिलों तक पहुंचने में हैं मुश्किलें
होती हारें भी हैं, सदा जीतें नहीँ
जूझते खुद अंधेरों से भी रात में
पथ दिखायें जो न हिम्मत हारा करें
दीप ऐसे जलायें इस दिवाली की रात
कि जो देर तक, दूर तक उजाला करें
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
सिध्दिदायक गजवदन
सिध्दिदायक गजवदन
जय गणेश गणाधिपति प्रभु , सिध्दिदायक , गजवदन
विघ्ननाशक दष्टहारी हे परम आनन्दधन ।।
दुखो से संतप्त अतिशय त्रस्त यह संसार है
धरा पर नित बढ़ रहा दुखदायियो का भार है ।
हर हृदय में वेदना , आतंक का अधियार है
उठ गया दुनिया से जैसे मन का ममता प्यार है ।।
दीजिये सब्दुध्दि का वरदान हे करूणा अयन ।।१।।
जय गणेश गणाधिपति प्रभु , सिध्दिदायक , गजवदन
विघ्ननाशक दष्टहारी हे परम आनन्दधन ।।
दुखो से संतप्त अतिशय त्रस्त यह संसार है
धरा पर नित बढ़ रहा दुखदायियो का भार है ।
हर हृदय में वेदना , आतंक का अधियार है
उठ गया दुनिया से जैसे मन का ममता प्यार है ।।
दीजिये सब्दुध्दि का वरदान हे करूणा अयन ।।१।।
संकट की मार दुनियॉ ये खूब सह चुकी है।।
भगवान कृपा कीजे यह विश्व शंाति पाये
प्रो सी बी श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
भगवान कृपा कीजै . यह विश्व शंाति पाये ।
बढी लोभ की लपट में यह जग झुलस न जाये ।।
नई होड बढ चली हैं हर रोज जिंदगी में
लगता है लोक को भी दिखती खुशी इसी में
पर देख पाती कम है लालच भरी निगाहें
ऐसा न हो अधूरा सपना ही टूट जाये।।1।।
हंसते हुए चेहरो के मन में भी उदासी है
सब पा के भी पाने की इच्छा अभी प्यासी है।
आक्रोश भर रहा है संतोष मर रहा है
इस लू भरी हवा में बगिया उजड न जाये ।।2।।
है घेर रखी सबने कॉटो से अपनी बाडी
गडती है नजरो मे पर औरों की चलती गाडी।
हिल मिल न रह सके तो कब तक चलेगा ऐसे
भगवान ज्योति दो वह जो रास्ता दिखाये।।3।।
सपने सजा सुनहरे सदियों से हर चुकी है
संकट की मार दुनियॉ ये खूब सह चुकी है।।
फिर भी उबर न पाई कमजोरीयो से अपनी
हे नाथ ! ज्ञान दीजै खुद को समझ तो पाये ।।4।।
प्रो सी बी श्रीवास्तव
सी ६ विद्युत मण्डल कालोनी
रामपुर जबलपुर
भगवान कृपा कीजै . यह विश्व शंाति पाये ।
बढी लोभ की लपट में यह जग झुलस न जाये ।।
नई होड बढ चली हैं हर रोज जिंदगी में
लगता है लोक को भी दिखती खुशी इसी में
पर देख पाती कम है लालच भरी निगाहें
ऐसा न हो अधूरा सपना ही टूट जाये।।1।।
हंसते हुए चेहरो के मन में भी उदासी है
सब पा के भी पाने की इच्छा अभी प्यासी है।
आक्रोश भर रहा है संतोष मर रहा है
इस लू भरी हवा में बगिया उजड न जाये ।।2।।
है घेर रखी सबने कॉटो से अपनी बाडी
गडती है नजरो मे पर औरों की चलती गाडी।
हिल मिल न रह सके तो कब तक चलेगा ऐसे
भगवान ज्योति दो वह जो रास्ता दिखाये।।3।।
सपने सजा सुनहरे सदियों से हर चुकी है
संकट की मार दुनियॉ ये खूब सह चुकी है।।
फिर भी उबर न पाई कमजोरीयो से अपनी
हे नाथ ! ज्ञान दीजै खुद को समझ तो पाये ।।4।।
खुदा सबका है सब पर मेहरबांन है,
ईद के चाँद की खोज में हर बरस ,
दिखती दुनियाँ बराबर ये बेजार है
बाँटने को मगर सब पे अपनी खुशी,
कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है
ईद दौलत नहीं ,कोई दिखावा नहीं ,
ईद जज्बा है दिल का ,खुशी की घड़ी
रस्म कोरी नहीं ,जो कि केवल निभे ,
ईद का दिल से गहरा सरोकार है !! १!!
अपने को औरों को और कुदरत को भी ,
समझने को खुदा के ये फरमान है
है मुबारक घड़ी ,करने एहसास ये -
रिश्ता है हरेक का , हरेक इंसान से
है गुँथीं साथ सबकी यहाँ जिंदगी ,
सबका मिल जुल के रहना है लाजिम यहाँ
सबके ही मेल से दुनियाँ रंगीन है ,
प्यार से खूबसूरत ये संसार है !!२!!
मोहब्बत, आदमीयत ,
मेल मिल्लत ही तो सिखाते हैं सभी मजहब संसार में
हो अमीरी, गरीबी या कि मुफलिसी ,
कोई झुलसे न नफरत के अंगार में
सिर्फ घर-गाँव -शहरों ही तक में नहीं ,
देश दुनियां में खुशियों की खुश्बू बसे
है खुदा से दुआ उसे सदबुद्धि दें,
जो जहां भी कहीं कोई गुनहगार है !!३!!
ईद सबको खुशी से गले से लगा,
सिखाती बाँटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुरनूर ऐसी घड़ी,
जिसको दिल से मनाने की दरकार है
दी खुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर,
आदमी भूल नफरत रहा बाँटता
राह ईमान की चलने का वायदा,
खुद से करने का ईद एक तेवहार है !!४!!
जो भी कुछ है यहां सब खुदा का दिया,
वह है सबका किसी एक का है नहीं
बस जरूरत है ले सब खुशी से जियें,
सभी हिल मिल जहाँ पर भी हों जो कहीं
खुदा सबका है सब पर मेहरबांन है,
जो भी खुदगर्ज है वह ही बेईमान है
भाईचारा बढ़े औ मोहब्बत पले ,
ईद का यही पैगाम , इसरार है !!५!!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
दिखती दुनियाँ बराबर ये बेजार है
बाँटने को मगर सब पे अपनी खुशी,
कम ही दिखता कहीं कोई तैयार है
ईद दौलत नहीं ,कोई दिखावा नहीं ,
ईद जज्बा है दिल का ,खुशी की घड़ी
रस्म कोरी नहीं ,जो कि केवल निभे ,
ईद का दिल से गहरा सरोकार है !! १!!
अपने को औरों को और कुदरत को भी ,
समझने को खुदा के ये फरमान है
है मुबारक घड़ी ,करने एहसास ये -
रिश्ता है हरेक का , हरेक इंसान से
है गुँथीं साथ सबकी यहाँ जिंदगी ,
सबका मिल जुल के रहना है लाजिम यहाँ
सबके ही मेल से दुनियाँ रंगीन है ,
प्यार से खूबसूरत ये संसार है !!२!!
मोहब्बत, आदमीयत ,
मेल मिल्लत ही तो सिखाते हैं सभी मजहब संसार में
हो अमीरी, गरीबी या कि मुफलिसी ,
कोई झुलसे न नफरत के अंगार में
सिर्फ घर-गाँव -शहरों ही तक में नहीं ,
देश दुनियां में खुशियों की खुश्बू बसे
है खुदा से दुआ उसे सदबुद्धि दें,
जो जहां भी कहीं कोई गुनहगार है !!३!!
ईद सबको खुशी से गले से लगा,
सिखाती बाँटना आपसी प्यार है
है मसर्रत की पुरनूर ऐसी घड़ी,
जिसको दिल से मनाने की दरकार है
दी खुदा ने मोहब्बत की नेमत मगर,
आदमी भूल नफरत रहा बाँटता
राह ईमान की चलने का वायदा,
खुद से करने का ईद एक तेवहार है !!४!!
जो भी कुछ है यहां सब खुदा का दिया,
वह है सबका किसी एक का है नहीं
बस जरूरत है ले सब खुशी से जियें,
सभी हिल मिल जहाँ पर भी हों जो कहीं
खुदा सबका है सब पर मेहरबांन है,
जो भी खुदगर्ज है वह ही बेईमान है
भाईचारा बढ़े औ मोहब्बत पले ,
ईद का यही पैगाम , इसरार है !!५!!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
Wednesday, 25 March, 2009
जो सबको बाँधे रखते हैं, ..
कई रंग में रंगे दिखते हैं ,
निश्छल प्राण के रिश्ते
कई हैं खून के रिश्ते,
कई सम्मान के रिश्ते !!
जो सबको बाँधे रखते हैं,
मधुर संबँध बंधन में
वे होते प्रेम के रिश्ते,
सरल इंसान के रिश्ते !!
भरा है एक रस मीठा,
प्रकृति ने मधुर वाणी में
जिन्हें सुन मन हुलस उठता,
हैं मेहमान के रिश्ते !!
जो हुलसाते हैं मन को ,
हर्ष की शुभ भावनाओ से
वे होते यकायक
उद्भूत,
नये अरमान के रिश्ते !!
कभी होती भी देखी हैं,
अचानक यूँ मुलाकातें
बना जाती जो जीवन में,
मधुर वरदान के रिश्ते !!
मगर इस नये जमाने में,
चला है एक चलन बेढ़ब
जहाँ आतंक ने फैलाये,
बिन पहचान के रिश्ते !!
सभी भयभीत हैं जिनसे,
न मिलती कोई खबर जिनकी
जो हैं आतंकवादी दुश्मनों से,
जान के रिश्ते !!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
निश्छल प्राण के रिश्ते
कई हैं खून के रिश्ते,
कई सम्मान के रिश्ते !!
जो सबको बाँधे रखते हैं,
मधुर संबँध बंधन में
वे होते प्रेम के रिश्ते,
सरल इंसान के रिश्ते !!
भरा है एक रस मीठा,
प्रकृति ने मधुर वाणी में
जिन्हें सुन मन हुलस उठता,
हैं मेहमान के रिश्ते !!
जो हुलसाते हैं मन को ,
हर्ष की शुभ भावनाओ से
वे होते यकायक
उद्भूत,
नये अरमान के रिश्ते !!
कभी होती भी देखी हैं,
अचानक यूँ मुलाकातें
बना जाती जो जीवन में,
मधुर वरदान के रिश्ते !!
मगर इस नये जमाने में,
चला है एक चलन बेढ़ब
जहाँ आतंक ने फैलाये,
बिन पहचान के रिश्ते !!
सभी भयभीत हैं जिनसे,
न मिलती कोई खबर जिनकी
जो हैं आतंकवादी दुश्मनों से,
जान के रिश्ते !!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
Tuesday, 24 March, 2009
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई
औ॔" जरूरतों ने जेबों संग , है अनचाही रास रचाई
मुश्किल में हर एक साँस है , हर चेहरा चिंतित उदास है
वे ही क्या निर्धन निर्बल जो , वो भी धन जिनका कि दास है
फैले दावानल से जैसे , झुलस रही सारी अमराई !
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
पनघट खुद प्यासा प्यासा है , क्षुदित श्रमिक ,स्वामी किसान हैं
मिटी मान मर्यादा सबकी , हर घर गुमसुम परेशान है
कितनों के आँगन अनब्याहे , बज न पा रही है शहनाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
मेंहदी रच जो चली जिंदगी , टूट चुकी है उसकी आशा
पिसा जा रहा आम आदमी , हर चेहरे में छाई निराशा
चलते चलते शाम हो चली , मिली न पर मंजिल हरजाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
मिट्टी तक तो मँहगी हुई है , हुआ आदमी केवल सस्ता
चूस रही मंहगाई जिसको , खुलेआम दिन में चौरस्ता
भटक रही शंकित घबराई , दिशाहीन बिखरी तरुणाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
नई समस्यायें मुँह बाई , आबादी ,वितरण , उत्पादन
यदि न सामयिक हल होगा तो ,रोजगार ,शासन , अनुशासन
राष्ट्र प्रेम , चारीत्रिक ढ़ृड़ता की होगी कैसे भरपाई ?
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
औ॔" जरूरतों ने जेबों संग , है अनचाही रास रचाई
मुश्किल में हर एक साँस है , हर चेहरा चिंतित उदास है
वे ही क्या निर्धन निर्बल जो , वो भी धन जिनका कि दास है
फैले दावानल से जैसे , झुलस रही सारी अमराई !
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
पनघट खुद प्यासा प्यासा है , क्षुदित श्रमिक ,स्वामी किसान हैं
मिटी मान मर्यादा सबकी , हर घर गुमसुम परेशान है
कितनों के आँगन अनब्याहे , बज न पा रही है शहनाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
मेंहदी रच जो चली जिंदगी , टूट चुकी है उसकी आशा
पिसा जा रहा आम आदमी , हर चेहरे में छाई निराशा
चलते चलते शाम हो चली , मिली न पर मंजिल हरजाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
मिट्टी तक तो मँहगी हुई है , हुआ आदमी केवल सस्ता
चूस रही मंहगाई जिसको , खुलेआम दिन में चौरस्ता
भटक रही शंकित घबराई , दिशाहीन बिखरी तरुणाई
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
नई समस्यायें मुँह बाई , आबादी ,वितरण , उत्पादन
यदि न सामयिक हल होगा तो ,रोजगार ,शासन , अनुशासन
राष्ट्र प्रेम , चारीत्रिक ढ़ृड़ता की होगी कैसे भरपाई ?
घटती जाती सुख सुविधायें , बढ़ती जाती है मँहगाई !!
--प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव
Monday, 23 March, 2009
खनक पैसों की इतनी हुई सुहानी बिक रहा पानी
बड़ी तब्दीलियाँ हुई हैं अंधेरे से उजाले तक
नया दिखता है सब कुछ हर घर से दिवाले तक
पुराने घर पुराने लोग उनकी पुरानी बातें
बदल गई सारी दुनियाँ उनकी थाली से प्याले तक
चली है जो नई फैशन बनावट की दिखावट की
लगे दिखने हैं कई चेहरे उससे गोरे कई काले तक
ली व्यवहारों ने करवट इस तरह बदले जमाने में
किसी को डर नहीं लगता कहीं करने घोटाले तक
निडर हो स्वार्थ अपना साधने अक्सर ये दिखता है
दिये जाने लगे हैं झूठे मनमाने हवाले तक
बताने बोलने रहने पहिनने के तरीकों में
नया पन है परसने और खाने में निवाले तक
जमाने की हवा से अब अछूता कोई नहीं दिखता
झलक दिखती नई रिश्तों में अब जीजा से साले तक
खनक पैसों की इतनी हुई सुहानी बिक रहा पानी
नहीं देते जगह अब ठहरने को धर्मशाले तक
फरक आया है तासीरों में भारी नये जमाने में
नहीं दे पाते गरमाहट कई ऊनी दुशाले तक
हैं बदले मौसमों ने आज तेवर यों "विदग्ध" अपने
नहीं दे पाते सुख गर्मी में कपड़े ढ़ीले ढ़ाले तक
- प्रो सी बी श्रीवास्तव
नया दिखता है सब कुछ हर घर से दिवाले तक
पुराने घर पुराने लोग उनकी पुरानी बातें
बदल गई सारी दुनियाँ उनकी थाली से प्याले तक
चली है जो नई फैशन बनावट की दिखावट की
लगे दिखने हैं कई चेहरे उससे गोरे कई काले तक
ली व्यवहारों ने करवट इस तरह बदले जमाने में
किसी को डर नहीं लगता कहीं करने घोटाले तक
निडर हो स्वार्थ अपना साधने अक्सर ये दिखता है
दिये जाने लगे हैं झूठे मनमाने हवाले तक
बताने बोलने रहने पहिनने के तरीकों में
नया पन है परसने और खाने में निवाले तक
जमाने की हवा से अब अछूता कोई नहीं दिखता
झलक दिखती नई रिश्तों में अब जीजा से साले तक
खनक पैसों की इतनी हुई सुहानी बिक रहा पानी
नहीं देते जगह अब ठहरने को धर्मशाले तक
फरक आया है तासीरों में भारी नये जमाने में
नहीं दे पाते गरमाहट कई ऊनी दुशाले तक
हैं बदले मौसमों ने आज तेवर यों "विदग्ध" अपने
नहीं दे पाते सुख गर्मी में कपड़े ढ़ीले ढ़ाले तक
- प्रो सी बी श्रीवास्तव
Saturday, 21 March, 2009
मृगतृष्णा दे झूठा लालच मन को नित भरमाती जाती !
मृगतृष्णा के आकर्षण में विवश विश्व फँसता जाता है !
बच पाने की इच्छा रख भी नहीं मोह से बच पाता है!!
रंग रूप के चटख दिखावे मन में सहज ललक उकसाते
सुन्दर मनमोहक सपनों का प्रिय वितान एक सज जाता है!!
तर्क वितर्को की उलझन में बुद्धि न कुछ निर्णय कर पाती !
जहाँ देखती उसी दिशा में भ्रम में फँस बढ़ती चकराती !!
वास्तविकता पर परदा डाले भ्रम छलता बन मायावी !
अभिलाषा को नये रंग दे नयनों में बसता जाता है !!
सारा जग यह रंग भूमि है मनोभाव परदे रतनारे !
व्यक्ति पात्र, जीवन नाटक है सुख दुख उजियारे अँधियारे !!
काल चक्र का परिवर्तन करता अभिनय रचता घटनायें !
प्यार बढ़ाती मृग मरीचिका तृप्ति नहीं कोई पाता है !!
ऊपर से संतोष दिखा भी हर अन्तर हरदम प्यासा है !
हरएक आज के साथ जन्मती कल की कोई सुन्दर आशा है !!
मृगतृष्णा दे झूठा लालच मन को नित भरमाती जाती !
मानव मृग सा आतुर प्यासा भागा भागा पछताता है !!
आकुल व्याकुल मानव का मन स्थिर न कभी भी रह पाता है !
सपनों की मादक रुनझुन में सारा जीवन कट जाता है !!
कभी खुमारी कभी वेदना कभी लिये अलसाई चेतना !
मृगतृष्णा में पागल मानव मनचाहा कब कर पाता है
मृगतृष्णा के बड़े जाल में विवश फँसा मन घबराता है !
बच पाने की इच्छा रख भी कहाँ कभी भी बच पाता है
प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
बच पाने की इच्छा रख भी नहीं मोह से बच पाता है!!
रंग रूप के चटख दिखावे मन में सहज ललक उकसाते
सुन्दर मनमोहक सपनों का प्रिय वितान एक सज जाता है!!
तर्क वितर्को की उलझन में बुद्धि न कुछ निर्णय कर पाती !
जहाँ देखती उसी दिशा में भ्रम में फँस बढ़ती चकराती !!
वास्तविकता पर परदा डाले भ्रम छलता बन मायावी !
अभिलाषा को नये रंग दे नयनों में बसता जाता है !!
सारा जग यह रंग भूमि है मनोभाव परदे रतनारे !
व्यक्ति पात्र, जीवन नाटक है सुख दुख उजियारे अँधियारे !!
काल चक्र का परिवर्तन करता अभिनय रचता घटनायें !
प्यार बढ़ाती मृग मरीचिका तृप्ति नहीं कोई पाता है !!
ऊपर से संतोष दिखा भी हर अन्तर हरदम प्यासा है !
हरएक आज के साथ जन्मती कल की कोई सुन्दर आशा है !!
मृगतृष्णा दे झूठा लालच मन को नित भरमाती जाती !
मानव मृग सा आतुर प्यासा भागा भागा पछताता है !!
आकुल व्याकुल मानव का मन स्थिर न कभी भी रह पाता है !
सपनों की मादक रुनझुन में सारा जीवन कट जाता है !!
कभी खुमारी कभी वेदना कभी लिये अलसाई चेतना !
मृगतृष्णा में पागल मानव मनचाहा कब कर पाता है
मृगतृष्णा के बड़े जाल में विवश फँसा मन घबराता है !
बच पाने की इच्छा रख भी कहाँ कभी भी बच पाता है
प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
विद्युत ही जग में , ईश्वर का , लगता रूप विशेष है !!
अग्नि , वायु , जल गगन, पवन ये जीवन का आधान है
इनके किसी एक के बिन भी , सृष्टि सकल निष्प्राण है !
अग्नि , ताप , ऊर्जा प्रकाश का एक अनुपम समवाय है
बिजली उसी अग्नि तत्व का , आविष्कृत पर्याय है !
बिजली है तो ही इस जग की, हर गतिविधि आसान है
जीना खाना , हँसना गाना , वैभव , सुख , सम्मान है !
बिजली बिन है बड़ी उदासी , अँधियारा संसार है ,
खो जाता हरेक क्रिया का , सहज सुगम आधार है !
हाथ पैर ठंडे हो जाते , मन होता निष्चेष्ट है ,
यह समझाता विद्युत का उपयोग महान यथेष्ट है !
यह देती प्रकाश , गति , बल , विस्तार हरेक निर्माण को
घर , कृषि , कार्यालय, बाजारों को भी ,तथा शमशान को !
बिजली ने ही किया , समूची दुनियाँ का श्रंगार है ,
सुविधा संवर्धक यह , इससे बनी गले का हार है !
मानव जीवन को दुनियाँ में , बिजली एक वरदान है
वर्तमान युग में बिजली ही, इस जग का भगवान है !
कण कण में परिव्याप्त , जगत में विद्युत का आवेश है
विद्युत ही जग में , ईश्वर का , लगता रूप विशेष है !!
- प्रो सी बी श्रीवास्तव
इनके किसी एक के बिन भी , सृष्टि सकल निष्प्राण है !
अग्नि , ताप , ऊर्जा प्रकाश का एक अनुपम समवाय है
बिजली उसी अग्नि तत्व का , आविष्कृत पर्याय है !
बिजली है तो ही इस जग की, हर गतिविधि आसान है
जीना खाना , हँसना गाना , वैभव , सुख , सम्मान है !
बिजली बिन है बड़ी उदासी , अँधियारा संसार है ,
खो जाता हरेक क्रिया का , सहज सुगम आधार है !
हाथ पैर ठंडे हो जाते , मन होता निष्चेष्ट है ,
यह समझाता विद्युत का उपयोग महान यथेष्ट है !
यह देती प्रकाश , गति , बल , विस्तार हरेक निर्माण को
घर , कृषि , कार्यालय, बाजारों को भी ,तथा शमशान को !
बिजली ने ही किया , समूची दुनियाँ का श्रंगार है ,
सुविधा संवर्धक यह , इससे बनी गले का हार है !
मानव जीवन को दुनियाँ में , बिजली एक वरदान है
वर्तमान युग में बिजली ही, इस जग का भगवान है !
कण कण में परिव्याप्त , जगत में विद्युत का आवेश है
विद्युत ही जग में , ईश्वर का , लगता रूप विशेष है !!
- प्रो सी बी श्रीवास्तव
Friday, 20 March, 2009
चाह जब होती न पूरी
चाह जब होती न पूरी
यत्न हो जाते विफल
बीत जाता समय,अवसर
हाथ से जाते निकल !!
छोड़ जाते टीस मन में
लालसा की प्राप्ति की
क्योंकि यह रहती न आशा
पूर्ण हो पायेगी कल !!
आदमी होता परिस्थिति
से बहुत मजबूर है
क्योंकि उसका लक्ष्य होता
जाता उससे दूर है !!
सफलता पाने का सुनिश्चित
जरूरी सिद्धांत है
समय, श्रम ,सहयोग के संग
लगना कहीं जरूर है !!
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
यत्न हो जाते विफल
बीत जाता समय,अवसर
हाथ से जाते निकल !!
छोड़ जाते टीस मन में
लालसा की प्राप्ति की
क्योंकि यह रहती न आशा
पूर्ण हो पायेगी कल !!
आदमी होता परिस्थिति
से बहुत मजबूर है
क्योंकि उसका लक्ष्य होता
जाता उससे दूर है !!
सफलता पाने का सुनिश्चित
जरूरी सिद्धांत है
समय, श्रम ,सहयोग के संग
लगना कहीं जरूर है !!
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
Thursday, 19 March, 2009
झूठ को सच बताने लग गये हैं
अब तो चेहरों को सजाने लग गये हैं मुखौटे !
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
सेवानिवृत प्राध्यापक प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय
Jabalpur (M.P.)INDIA
मोबा. 9425484452
Email vivek1959@sify.com
अब तो चेहरों को सजाने लग गये हैं मुखौटे !
इसी से बहुतों को भाने लग गये हैं मुखौटे !
रूप की बदसूरती पूरी छिपा देते हैं ये
झूठ को सच बताने लग गये हैं मुखौटे !
अनेकों तो देखकर असली समझते हैं इन्हें
सफाई !सी दिखाने लग गये हैं मुखौटे !
क्षेत्र हो शिक्षा या आर्थिक धर्म या व्यवसाय का
हरएक में एक मोहिनी बन छा गये हैं मुखौटे !
इन्हीं का गुणगान विज्ञापन भी सारे कर रहे
नये जमाने को सहज ही भा गये हैं मुखौटे !
सचाई और सादगी लोगों को लगती है बुरी
बहुतों को अपने में भरमाने लग गये हैं मुखौटे !
समय के संग लोगों को रुचियों में अब बदलाव है
खरे खारे लग रहे सब मधुर खोटे मुखौटे !
बनावट औ दिखावट में उलझ गई है जिंदगी
हर जगह लगते रिझाते जगमगाते मुखौटे !
मुखौँटों का ये चलन पर ले कहाँ तक जायेगा
है विदग्ध विचारना ये क्यों हैं आखिर मुखौटे !
प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
सेवानिवृत प्राध्यापक प्रांतीय शिक्षण महाविद्यालय
Jabalpur (M.P.)INDIA
मोबा. 9425484452
Email vivek1959@sify.com
अब तो चेहरों को सजाने लग गये हैं मुखौटे !
इसी से बहुतों को भाने लग गये हैं मुखौटे !
रूप की बदसूरती पूरी छिपा देते हैं ये
झूठ को सच बताने लग गये हैं मुखौटे !
अनेकों तो देखकर असली समझते हैं इन्हें
सफाई !सी दिखाने लग गये हैं मुखौटे !
क्षेत्र हो शिक्षा या आर्थिक धर्म या व्यवसाय का
हरएक में एक मोहिनी बन छा गये हैं मुखौटे !
इन्हीं का गुणगान विज्ञापन भी सारे कर रहे
नये जमाने को सहज ही भा गये हैं मुखौटे !
सचाई और सादगी लोगों को लगती है बुरी
बहुतों को अपने में भरमाने लग गये हैं मुखौटे !
समय के संग लोगों को रुचियों में अब बदलाव है
खरे खारे लग रहे सब मधुर खोटे मुखौटे !
बनावट औ दिखावट में उलझ गई है जिंदगी
हर जगह लगते रिझाते जगमगाते मुखौटे !
मुखौँटों का ये चलन पर ले कहाँ तक जायेगा
है विदग्ध विचारना ये क्यों हैं आखिर मुखौटे !
अलग अलग विषयो पर मेरे विचार
मैं तो बाजार जाता हूँ मुझे तो मँहगाई कम नही लग रही .. सिवाय इसके कि कुछ ब्रांडेड कपड़ो की कम्पनियां एक के साथ एक के आफर लेकर आ रही हैं ..पहले दाम बढ़ाकर फिर कम करने को मंहगाई कम हो कहना गलत है
14-Mar-2009 12:40
COMMENT:
क्रिकेट में हमारी सफलता सभी खिलाड़ियो की समग्र मेहनत का नतीजा है. महिला क्रिकेट में भी भारतीय लड़कियाँ कुछ कर दिखा सकती हैं. यही जज़्बा अन्य खेलों के प्रति भी हो तो ओलंपिक में भी भारत अब बेहतर कर सकेगा.
10-Mar-2009 03:05
COMMENT:
मुशर्रफ को भारत बुलाना ही आयोजकों की बहुत बड़ी भूल थी. वे बड़बोले किस्म के व्यक्ति है. इस बयान से उन्होने अपने व्यक्तित्व का ही परिचय दिया है.
23-Feb-2009 17:05
COMMENT:
धराशायी शेयर बाजार, सॉफ्टवेयर कंपनियों की पतली हालत, उद्योग जगत में धन की कमी, सोने की कीमत में बेइंतेहा वृद्धि ..वैश्विक वित्तीय स्थितियां गंभीर तो हैं .. गांधी तो ग्राम इकाई की स्वायत्ता की बात करते थे, पर हमने बनाया ग्लोबल विलेज. अब परस्पर जुड़े हुए बाज़ार एक दूसरे से प्रभावित तो होंगे ही ..और इस संकट से निपटना भी मिलकर ही पड़ेगा.
01-Feb-2009 15:24
COMMENT:
मानव अधिकार आदर्श स्थिति के परिचायक हैं, आतंकवादी विकृत स्थिति के.. भला दोनों को समान तरीके से कैसे लिया जा सकता है!
टिप्पणी की स्थिति:
अगले चार सालों में ओबामा को मंदी और आतंक से निपटते हुये दुनिया को विकास पथ पर ले जाने के प्रयास करने होंगे. सफलता प्रयासों की ईमानदारी और समय ,परिस्थिति पर निर्भर करती है.
अब समय आ गया है कि हिंदी ब्लॉग की ताक़त को स्वीकार कर बीबीसी भी अपनी वेब स्पेस में ब्लॉग हेतु व्यवस्था करे. आपकी राय हेतु प्रतिदिन नए विषय दिए जाएँ.
18-Dec-2008 03:03
COMMENT:
भारत का चंद्रयान-1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण वैश्विक उपलब्धि है जबकि मुंबई पर चरमपंथी हमला इस वर्ष का काला पन्ना है.
COMMENT:
मै भारत मे , जबलपुर में रहता हू , हमारे प्रदेश में , व मेरे परिवेश में मानव अधिकारो की सामान्य स्थितिया ठीक ही है , यद्यपि जिस ढ़ंग से अदालते न्याय में विलंब , एक ही मसले पर अलग अलग अदालते अलग फैसले देती है व सरकारी संस्थान जैसे नगर निगम , तथा अधिकार संपन्न विभाग के लोग अपनी दौंदापेली व भपके से प्रशासन चला रहे है , उससे मानव अधिकारो का उल्लंघन तो हो रहा है
10-Dec-2008 16:22
COMMENT:
हम जिन स्थितियो में आज जी रहे है उनमे लगता है कि लोग बस इसलिये जिंदा है क्योकि कोई उन्हें मारना नही चाहता, वरना आतंक की स्थिति तो कमोबेश हर जगह वही है. पुलिस और सरकारी दफ्तरों में दौंदापेली का वही रवैया है. भीड़ भरी बसों और रेल के डिब्बो में मजबूरी मे सफर करती महिलाओ का जो शोषण होता है वह मानवाधिकारों पर कसक भरा तमाचा ही है.
भेजा गया:
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
मुम्बइ पर हमले कमजोर कानून , लचर सरकार ,ओछी राजनीति , बेबस जनता , निरुद्देश्य सिरफिरे आतंकियो के चलते हुये है ...यद्यपि विपक्ष में बैठकर गाली दे देना , और सुरक्षा एजेंसियो को कोसना बड़ा सरल है , पर विशाल भारत में विभिन्न धर्मों , मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतिया अपनाते हुये इस तरह की घटनाये रोकना एक बड़ी जबाब दारी है , जिसे पूरा करने के लिये विश्व समुदाय को विश्वास में लेकर पड़ोसी देशौ में चल रहे आतंकी अड्डो पर हवाई हमले जरूरी लगते हैं
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
अमरीका का प्रभुत्व विश्व संस्थाओ में है जिसे टूटने में समय लगेगा. हाँ ,अब भारत की अनदेखी करना मुश्किल है. हमारी जनसंख्या, हमारी बौद्धिक क्षमता, हमारी योजनाएँ ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं.
भेजा गया:
09-Nov-2008 05:22
COMMENT:
ओबामा का व्हाइट हाउस में पहुंचना विश्व राजनीति के लिये बेहतर होना चाहिये , वर्णगत , जातिगत , विभेद से परे वास्तव में ग्लोबल विलेज इस दुनियां के लिये कुछ नया और अच्छा करके ही ओबामा इतिहास में स्वयं का व अमेरिका का नाम दर्ज कर सकते हैं . वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र वाक्य वाले भारत को साथ लेकर वे नया युग रच सकते हैं .
03-Nov-2008 15:09
COMMENT:
ओबामा लगभग जीत ही गये लगते हैं. उन्हें मेरी अग्रिम बधाई!
14-Mar-2009 12:40
COMMENT:
क्रिकेट में हमारी सफलता सभी खिलाड़ियो की समग्र मेहनत का नतीजा है. महिला क्रिकेट में भी भारतीय लड़कियाँ कुछ कर दिखा सकती हैं. यही जज़्बा अन्य खेलों के प्रति भी हो तो ओलंपिक में भी भारत अब बेहतर कर सकेगा.
10-Mar-2009 03:05
COMMENT:
मुशर्रफ को भारत बुलाना ही आयोजकों की बहुत बड़ी भूल थी. वे बड़बोले किस्म के व्यक्ति है. इस बयान से उन्होने अपने व्यक्तित्व का ही परिचय दिया है.
23-Feb-2009 17:05
COMMENT:
धराशायी शेयर बाजार, सॉफ्टवेयर कंपनियों की पतली हालत, उद्योग जगत में धन की कमी, सोने की कीमत में बेइंतेहा वृद्धि ..वैश्विक वित्तीय स्थितियां गंभीर तो हैं .. गांधी तो ग्राम इकाई की स्वायत्ता की बात करते थे, पर हमने बनाया ग्लोबल विलेज. अब परस्पर जुड़े हुए बाज़ार एक दूसरे से प्रभावित तो होंगे ही ..और इस संकट से निपटना भी मिलकर ही पड़ेगा.
01-Feb-2009 15:24
COMMENT:
मानव अधिकार आदर्श स्थिति के परिचायक हैं, आतंकवादी विकृत स्थिति के.. भला दोनों को समान तरीके से कैसे लिया जा सकता है!
टिप्पणी की स्थिति:
अगले चार सालों में ओबामा को मंदी और आतंक से निपटते हुये दुनिया को विकास पथ पर ले जाने के प्रयास करने होंगे. सफलता प्रयासों की ईमानदारी और समय ,परिस्थिति पर निर्भर करती है.
अब समय आ गया है कि हिंदी ब्लॉग की ताक़त को स्वीकार कर बीबीसी भी अपनी वेब स्पेस में ब्लॉग हेतु व्यवस्था करे. आपकी राय हेतु प्रतिदिन नए विषय दिए जाएँ.
18-Dec-2008 03:03
COMMENT:
भारत का चंद्रयान-1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण वैश्विक उपलब्धि है जबकि मुंबई पर चरमपंथी हमला इस वर्ष का काला पन्ना है.
COMMENT:
मै भारत मे , जबलपुर में रहता हू , हमारे प्रदेश में , व मेरे परिवेश में मानव अधिकारो की सामान्य स्थितिया ठीक ही है , यद्यपि जिस ढ़ंग से अदालते न्याय में विलंब , एक ही मसले पर अलग अलग अदालते अलग फैसले देती है व सरकारी संस्थान जैसे नगर निगम , तथा अधिकार संपन्न विभाग के लोग अपनी दौंदापेली व भपके से प्रशासन चला रहे है , उससे मानव अधिकारो का उल्लंघन तो हो रहा है
10-Dec-2008 16:22
COMMENT:
हम जिन स्थितियो में आज जी रहे है उनमे लगता है कि लोग बस इसलिये जिंदा है क्योकि कोई उन्हें मारना नही चाहता, वरना आतंक की स्थिति तो कमोबेश हर जगह वही है. पुलिस और सरकारी दफ्तरों में दौंदापेली का वही रवैया है. भीड़ भरी बसों और रेल के डिब्बो में मजबूरी मे सफर करती महिलाओ का जो शोषण होता है वह मानवाधिकारों पर कसक भरा तमाचा ही है.
भेजा गया:
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
मुम्बइ पर हमले कमजोर कानून , लचर सरकार ,ओछी राजनीति , बेबस जनता , निरुद्देश्य सिरफिरे आतंकियो के चलते हुये है ...यद्यपि विपक्ष में बैठकर गाली दे देना , और सुरक्षा एजेंसियो को कोसना बड़ा सरल है , पर विशाल भारत में विभिन्न धर्मों , मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतिया अपनाते हुये इस तरह की घटनाये रोकना एक बड़ी जबाब दारी है , जिसे पूरा करने के लिये विश्व समुदाय को विश्वास में लेकर पड़ोसी देशौ में चल रहे आतंकी अड्डो पर हवाई हमले जरूरी लगते हैं
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
अमरीका का प्रभुत्व विश्व संस्थाओ में है जिसे टूटने में समय लगेगा. हाँ ,अब भारत की अनदेखी करना मुश्किल है. हमारी जनसंख्या, हमारी बौद्धिक क्षमता, हमारी योजनाएँ ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं.
भेजा गया:
09-Nov-2008 05:22
COMMENT:
ओबामा का व्हाइट हाउस में पहुंचना विश्व राजनीति के लिये बेहतर होना चाहिये , वर्णगत , जातिगत , विभेद से परे वास्तव में ग्लोबल विलेज इस दुनियां के लिये कुछ नया और अच्छा करके ही ओबामा इतिहास में स्वयं का व अमेरिका का नाम दर्ज कर सकते हैं . वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र वाक्य वाले भारत को साथ लेकर वे नया युग रच सकते हैं .
03-Nov-2008 15:09
COMMENT:
ओबामा लगभग जीत ही गये लगते हैं. उन्हें मेरी अग्रिम बधाई!
Saturday, 28 February, 2009
कृपा प्रसाद तव श्री रघुनंदन
उर में अमी का अभिनव मंथन
भ्रमर वृंद का गुंजन वंदन
"कल्पना" का कुसमित उपवन
विकसे व्यथित "विदग्ध" सुमन
प्रफुलित चातक का चिर चिंतन
चितवत स्वाति नक्षत्र नयन
विवेक वृष्टि का नित नववर्धन
कृपा प्रसाद तव श्री रघुनंदन
ये उद्गार हैं मित्र संतोष मिश्रा जी के , जो उन्होंने "कौआ कान ले गया" पढ़कर लिख भेजे है .
भ्रमर वृंद का गुंजन वंदन
"कल्पना" का कुसमित उपवन
विकसे व्यथित "विदग्ध" सुमन
प्रफुलित चातक का चिर चिंतन
चितवत स्वाति नक्षत्र नयन
विवेक वृष्टि का नित नववर्धन
कृपा प्रसाद तव श्री रघुनंदन
ये उद्गार हैं मित्र संतोष मिश्रा जी के , जो उन्होंने "कौआ कान ले गया" पढ़कर लिख भेजे है .
Tuesday, 27 January, 2009
बैलगाड़ियों के चके ट्रकों के टायर के हों
बैलगाड़ियों के चके ट्रकों के टायर के हों
वर्तमान में हमारे प्रदेश में बैलगाड़ियों के चके पारंपरिक तरीके के लोहे व लकड़ी के ही बन रहे हैं .इस से न केवल बैलों को अधिक श्रम करना होता है वरन जो सड़कें हम गाँव गाँव में बना रहे हैं वे भी जल्दी खराब हो जाती हैं . पंजाब आदि प्रदेशों में बैलगाड़ियों के चके के रूप में ट्रकों के पुराने टायर का उपयोग होते मैने देखा है . मेरा सुझाव है कि चूंकि किसान स्वेच्छा से यह परिवर्तन जल्दी नही करेंगे अतः उन्हें कुछ सब्सिडी आदि देकर अपनी बैलगाड़ियो में पारंपरिक चकों की जगह टायर का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जावे . ईससे बैलगाड़ी अधिक वजन ढ़ो सकेगी वह भी बिना सड़को को खराब किये .
वर्तमान में हमारे प्रदेश में बैलगाड़ियों के चके पारंपरिक तरीके के लोहे व लकड़ी के ही बन रहे हैं .इस से न केवल बैलों को अधिक श्रम करना होता है वरन जो सड़कें हम गाँव गाँव में बना रहे हैं वे भी जल्दी खराब हो जाती हैं . पंजाब आदि प्रदेशों में बैलगाड़ियों के चके के रूप में ट्रकों के पुराने टायर का उपयोग होते मैने देखा है . मेरा सुझाव है कि चूंकि किसान स्वेच्छा से यह परिवर्तन जल्दी नही करेंगे अतः उन्हें कुछ सब्सिडी आदि देकर अपनी बैलगाड़ियो में पारंपरिक चकों की जगह टायर का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने की योजना बनाई जावे . ईससे बैलगाड़ी अधिक वजन ढ़ो सकेगी वह भी बिना सड़को को खराब किये .
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
प्रो. सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर
जबलपुर
गणतंत्र हो अमर सही जनतंत्र हो अमर
भारत की राजनीति में इसका बढ़े असर
जनतंत्र है जीवन की विधा सबसे पुरानी
शासन समाज व्यक्ति की संयुक्त कहानी
औरो के सुख दुख का जो हर व्यक्ति को हो भान
तो जटिल समस्याओ के भी मिलें समाधान
सब लोग चैन पा सकें हो स्वर्ग हर एक घर
है पूज्य यही नीति नियम , न्याय औ" सद् भाव
स्वातंत्र्य बंधुता समानता नहीं दुराव
साथी की भावनाओ का सब करें सम्मान
कोई न हो टकराव कहीं , हठ हो न अभिमान
हर दिन विकास कर सकें हर गाँव और नगर
जनतंत्र के सिद्धांत ने दुनियां को लुभाया
जग उसकी राह पर सही चल नहीं पाया
कर्तव्य औ" अधिकार का जो हो समान ध्यान
हर व्यक्ति का कल्याण हो , हो देश कअ उत्थान
प्रो. सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध"
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर
जबलपुर
गणतंत्र हो अमर सही जनतंत्र हो अमर
भारत की राजनीति में इसका बढ़े असर
जनतंत्र है जीवन की विधा सबसे पुरानी
शासन समाज व्यक्ति की संयुक्त कहानी
औरो के सुख दुख का जो हर व्यक्ति को हो भान
तो जटिल समस्याओ के भी मिलें समाधान
सब लोग चैन पा सकें हो स्वर्ग हर एक घर
है पूज्य यही नीति नियम , न्याय औ" सद् भाव
स्वातंत्र्य बंधुता समानता नहीं दुराव
साथी की भावनाओ का सब करें सम्मान
कोई न हो टकराव कहीं , हठ हो न अभिमान
हर दिन विकास कर सकें हर गाँव और नगर
जनतंत्र के सिद्धांत ने दुनियां को लुभाया
जग उसकी राह पर सही चल नहीं पाया
कर्तव्य औ" अधिकार का जो हो समान ध्यान
हर व्यक्ति का कल्याण हो , हो देश कअ उत्थान
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