Thursday 19 March, 2009

अलग अलग विषयो पर मेरे विचार

मैं तो बाजार जाता हूँ मुझे तो मँहगाई कम नही लग रही .. सिवाय इसके कि कुछ ब्रांडेड कपड़ो की कम्पनियां एक के साथ एक के आफर लेकर आ रही हैं ..पहले दाम बढ़ाकर फिर कम करने को मंहगाई कम हो कहना गलत है
14-Mar-2009 12:40
COMMENT:
क्रिकेट में हमारी सफलता सभी खिलाड़ियो की समग्र मेहनत का नतीजा है. महिला क्रिकेट में भी भारतीय लड़कियाँ कुछ कर दिखा सकती हैं. यही जज़्बा अन्य खेलों के प्रति भी हो तो ओलंपिक में भी भारत अब बेहतर कर सकेगा.


10-Mar-2009 03:05
COMMENT:
मुशर्रफ को भारत बुलाना ही आयोजकों की बहुत बड़ी भूल थी. वे बड़बोले किस्म के व्यक्ति है. इस बयान से उन्होने अपने व्यक्तित्व का ही परिचय दिया है.

23-Feb-2009 17:05
COMMENT:
धराशायी शेयर बाजार, सॉफ्टवेयर कंपनियों की पतली हालत, उद्योग जगत में धन की कमी, सोने की कीमत में बेइंतेहा वृद्धि ..वैश्विक वित्तीय स्थितियां गंभीर तो हैं .. गांधी तो ग्राम इकाई की स्वायत्ता की बात करते थे, पर हमने बनाया ग्लोबल विलेज. अब परस्पर जुड़े हुए बाज़ार एक दूसरे से प्रभावित तो होंगे ही ..और इस संकट से निपटना भी मिलकर ही पड़ेगा.


01-Feb-2009 15:24
COMMENT:
मानव अधिकार आदर्श स्थिति के परिचायक हैं, आतंकवादी विकृत स्थिति के.. भला दोनों को समान तरीके से कैसे लिया जा सकता है!
टिप्पणी की स्थिति:
अगले चार सालों में ओबामा को मंदी और आतंक से निपटते हुये दुनिया को विकास पथ पर ले जाने के प्रयास करने होंगे. सफलता प्रयासों की ईमानदारी और समय ,परिस्थिति पर निर्भर करती है.


अब समय आ गया है कि हिंदी ब्लॉग की ताक़त को स्वीकार कर बीबीसी भी अपनी वेब स्पेस में ब्लॉग हेतु व्यवस्था करे. आपकी राय हेतु प्रतिदिन नए विषय दिए जाएँ.
18-Dec-2008 03:03
COMMENT:
भारत का चंद्रयान-1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण वैश्विक उपलब्धि है जबकि मुंबई पर चरमपंथी हमला इस वर्ष का काला पन्ना है.
COMMENT:
मै भारत मे , जबलपुर में रहता हू , हमारे प्रदेश में , व मेरे परिवेश में मानव अधिकारो की सामान्य स्थितिया ठीक ही है , यद्यपि जिस ढ़ंग से अदालते न्याय में विलंब , एक ही मसले पर अलग अलग अदालते अलग फैसले देती है व सरकारी संस्थान जैसे नगर निगम , तथा अधिकार संपन्न विभाग के लोग अपनी दौंदापेली व भपके से प्रशासन चला रहे है , उससे मानव अधिकारो का उल्लंघन तो हो रहा है

10-Dec-2008 16:22
COMMENT:
हम जिन स्थितियो में आज जी रहे है उनमे लगता है कि लोग बस इसलिये जिंदा है क्योकि कोई उन्हें मारना नही चाहता, वरना आतंक की स्थिति तो कमोबेश हर जगह वही है. पुलिस और सरकारी दफ्तरों में दौंदापेली का वही रवैया है. भीड़ भरी बसों और रेल के डिब्बो में मजबूरी मे सफर करती महिलाओ का जो शोषण होता है वह मानवाधिकारों पर कसक भरा तमाचा ही है.
भेजा गया:
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
मुम्बइ पर हमले कमजोर कानून , लचर सरकार ,ओछी राजनीति , बेबस जनता , निरुद्देश्य सिरफिरे आतंकियो के चलते हुये है ...यद्यपि विपक्ष में बैठकर गाली दे देना , और सुरक्षा एजेंसियो को कोसना बड़ा सरल है , पर विशाल भारत में विभिन्न धर्मों , मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतिया अपनाते हुये इस तरह की घटनाये रोकना एक बड़ी जबाब दारी है , जिसे पूरा करने के लिये विश्व समुदाय को विश्वास में लेकर पड़ोसी देशौ में चल रहे आतंकी अड्डो पर हवाई हमले जरूरी लगते हैं
30-Nov-2008 14:01
COMMENT:
अमरीका का प्रभुत्व विश्व संस्थाओ में है जिसे टूटने में समय लगेगा. हाँ ,अब भारत की अनदेखी करना मुश्किल है. हमारी जनसंख्या, हमारी बौद्धिक क्षमता, हमारी योजनाएँ ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं.
भेजा गया:
09-Nov-2008 05:22
COMMENT:
ओबामा का व्हाइट हाउस में पहुंचना विश्व राजनीति के लिये बेहतर होना चाहिये , वर्णगत , जातिगत , विभेद से परे वास्तव में ग्लोबल विलेज इस दुनियां के लिये कुछ नया और अच्छा करके ही ओबामा इतिहास में स्वयं का व अमेरिका का नाम दर्ज कर सकते हैं . वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र वाक्य वाले भारत को साथ लेकर वे नया युग रच सकते हैं .
03-Nov-2008 15:09
COMMENT:
ओबामा लगभग जीत ही गये लगते हैं. उन्हें मेरी अग्रिम बधाई!

1 comment:

BrijmohanShrivastava said...

प्रिय विवेक जी /मूल लेख समक्ष न होते हुए भी आपकी टिप्पणियाँ देखी /इसी से अंदाजा लग गया कि लेख किस प्रकार का व किस विषय का रहा होगा /महगाई के वारे में आपकी राय माकूल है /अदालत के फैसले तो प्रकरण के अनुसार प्रथक प्रथक होते ही है /इतने बडे देश में थोडा बहुत मानव अधिकार का उलंघन हो सकता है /वैसे जब संबिधान में समस्त अधिकार है तो प्रथक से मानव अधिकार के नियम क्यों ?आपने बार बार ये "दोंदापेली "शब्द प्रयोग किया है -यह शब्द जबलपुर का तो नहीं है =ब्रेकिट में इसका अर्थ लिख दिया होता /वर्तमान समय में पड़ोसियों पर हवाई हमले ?बहुत सोच विचार ज़रूरी है ,जो कुछ सोच कर नहीं कर रहे है वे हम से ज्यादा समझ दर है /ओबामा हों या और कोई सब के अपने अपने हित हैं ,किसी की ओर आशा भरी नज़रों से नहीं देखा जाना चाहिए -खुद के मरे से ही स्वर्ग दिखता है