सिध्दिदायक गजवदन
जय गणेश गणाधिपति प्रभु , सिध्दिदायक , गजवदन
विघ्ननाशक दष्टहारी हे परम आनन्दधन ।।
दुखो से संतप्त अतिशय त्रस्त यह संसार है
धरा पर नित बढ़ रहा दुखदायियो का भार है ।
हर हृदय में वेदना , आतंक का अधियार है
उठ गया दुनिया से जैसे मन का ममता प्यार है ।।
दीजिये सब्दुध्दि का वरदान हे करूणा अयन ।।१।।
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