Sunday 27 March, 2011

कमलाप्रसाद जी ...विनम्र श्रद्धाजली

१९९२ तारसप्तक अर्धशती वर्ष .. मेरी प्रथम काव्य कृति "आक्रोश " प्रकाशित हुई थी , रींवा में कमलाप्रसाद जी के घर पर उन्हें भेंट की .. उन्होंने हौसला बढ़ाया ,फिर पाठक मंच के आयोजनो में .. जब तब मिलना होता रहा ... बड़े अपनेपन से मेरे तथा पिताजी के लेखन आदि पर हर बार पूछताछ व चर्चा करते थे ... पिताजी की कृति "अनुगुंजन " की भूमिका उन्होनें ही लिखी थी ..
विनम्र श्रद्धाजली
उनका दुखद देहावसान न केवल साहित्य जगत की वरन मेरी व्यक्तिगत क्षति है ...
वहाँ स्वर्ग में होगा उत्सव ,
है यहाँ धरा पर शोक ,
यह बुझा हुआ दीपक भी देगा
युग युग तक आलोक !

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